पोलैंड स्थिति : ५२० ०� उ. अ. तथा २०० ०� पू. दे.। यह मध्य यूरोप में स्थित जनतांत्रिक गणराज्य है। इसके उत्तर में बाल्टिक सागर, पश्चिम में पूर्वी जर्मनी, दक्षिण में चेक़ोस्लोवाकिया तथा पूर्व में सोवियत संघ हैं। पोलैंड का क्षेत्रपुल १,२०,७३३ वर्ग मील है। क्षेत्रफल में पोलैंड भारत के महाराष्ट्र से कुछ बड़ा है, किंतु यहाँ की जनसंख्या महाराष्ट्र की जनसंख्या की लगभग तीन चौथाई है। इसका राष्ट्रध्वज दोरांगा, श्वेत तथा लाल, है।
धरातल � पोलैंड का अधिकांश भाग उत्तरी यूरोपीय मैदान का पूर्वी विस्तार है। यहाँ की आधी से कम भूमि समुद्र की सतह से ५०० फुट से अधिक तथा ९० प्रतिशत भूमि १,००० फुट से कम ऊँची है। इसके दक्षिणी भाग में उच्च भूमि तथा पठार हैं, जो दक्षिण में सूडेट्न कटक (रिज) तथा कारपेंथिऐन पर्वत में परिणत हो जाते हैं। उत्तरी मैदानी भाग के अंतर्गत बाल्टिक-तट-प्रदेश, बाल्टिक उच्च भूमि तथा पोलिश निम्नभूमि सम्मिलित हैं। बाल्टिक-तट-प्रदेश का अधिकांश समतल तथा बालूयुक्त है, यद्यपि कुछ हिमोढ़ (morraine) पहाड़ियाँ समुद्रतट तक चली गई हैं। ओडर और विस्चुला नदियों के मुहानों को छोड़कर अन्यत्र यह प्रदेश बहुत कम चौड़ा है। अपनी लैगून झीलों, बालुकास्तूपों तथा खाड़ियों के कारण पोलैंड का समुद्रतट नीदरलैंड्स के तट के समान है। तटप्रदेश के दक्षिण में बालूयुक्त मिट्टियों तथा झीलोंवाला चौड़ा प्रदेश है, जहाँ हिमोढ़ निर्मित कटकों का बाहुल्य है, जिनकी ऊँचाई कहीं कहीं १,१०० फुट तक है। ये गत हिमयुग में हिम चादर के फैलाव की सीमा बतलाते हैं हिमोढ़ निर्मित घाटियों में झीलें तथा दलदल पाए जाते हैं। इस क्षेत्र के दक्षिण में पूर्व से पश्चिम फैली हुई निम्नभूमि का एक बड़ा क्षेत्र है। दक्षिणी उच्च भूमि के अंतर्गत मालोपोल्स्का तथा लूब्लीन पठार एवं बिखरी हुई अनेक ऊँचाइयाँ आती हैं। पोलैंड में विस्चुला, ओडर, बूग तथा वारता नदियाँ बहती हैं जो बाल्टिक सागर में गिरती हैं। उत्तरी झीलों के क्षेत्र में लगभग ९,३०० झीलें हैं।
जलवायु � यह उत्तर-पश्चिमी समुद्री जलवायु तथा महाद्वीपीय जलवायु के मध्य में स्थित है। वैसे पोलैंड में महाद्वीपीय जलवायु पाई जाती है। शीतकाल में ताप पश्चिम से पूर्व की ओर घटता जाता है। जुलाई का औसत ताप १५० सें. रहता है तथा जनवरी का औसत ताप वॉरसॉ में ३० सें. रहता है। यहाँ की वर्षा ग्रीष्म ऋतु में तथा सर्वत्र समान होती है। पूर्व में बर्फ अधिक पड़ती है और जमीन पर अधिक दिनों तक जमी रहती है। मैदान में २१ से २६ इंच तथा पहाड़ों पर ४० से ५० इंच तक वर्षा होती है।
प्राकृतिक वनस्पति � पोलैंड की प्राकृतिक वनस्पति के ७० प्रतिशत भाग में शंकुधारी (पाइन), जो ठंडे प्रदेशों में स्थित है तथा पतझड़ (बर्च, बीच, एल्म) वन पाए जाते हैं। उत्तरी पोलैंड की बंजर भूमि में वन तथा दलदल पाए जाते हैं। देश के संपूर्ण क्षेत्रफल की एक चौथाई भूमि प्रधानता: 'झीलों के प्रदेश' में ऊँचाइयों पर तथा पहाड़ों की ढालों पर वन पाए जाते हैं।
कृषि � पोलैंड में कृषि में संपूर्ण जनसंख्या का ६५ प्रतिशत भाग लगा है। यहाँ १६० लाख हैक्टेयर्स भूमि पर खेती होती है। पोलैंड के अधिकतर खेत छोटे छोटे, लगभग ५६.७ प्रति शत दो से दस हेक्टेयर्स के, हैं। इनके अंतर्गत खेतिहर भूमि का ६१ प्रतिशत भाग आता है। सन् १९६१ में यहाँ खेतिहर भूमि के १.२६ प्रति शत में सम्मिलित खेत थे और लगभग १२ प्रतिशत में राजकीय खेत थे। अन्न के उत्पादन का पोलैंड की कृषि में मुख्य स्थान है। खाद्यानों में मक्का, राई, जई और गेहूँ प्रमुख हैं। राई उत्पादन सबसे अधिक होता है। राई की खेती बलुवा मिट्टी में होती है। दक्षिणी पोलैंड की लोएस मिट्टी में चुकंदर की खेती होती है। उत्पादन के विचार से आलू भी पोलैंड की मुख्य फसल है।
पशुपालन � कृषि के साथ साथ पोलैंड का पशुपालन उद्योग भी प्रमुख है। यहाँ मुख्यत: गाय, बैल, सूअर, घोड़े भेड़ें पाली जाती हैं। सूअर पालन में पोलैंड यूरोप के सबसे बड़े दो देशों में से एक है। घोड़ों से यहाँ कृषि कार्य कराया जाता है। पोलैंड अब मांस और चर्बी के उत्पादन में स्वावलंबी है।
मछली मारना � मछली का भोजन सामग्रियों में महत्वपूर्ण स्थान है। मछली पकड़ने का उद्योग प्रधानत: सरकारी उद्योग है। मछलियाँ वाल्टिक सागर, झीलों, तलाबों तथा नदियों में मारी जाती हैं। हेरिंग तथा कॉड यहाँ की मुख्य मछलियाँ हैं।
खनिज � यहाँ खनिजह संतोषप्रद मात्रा में मिलते हैं, देश के दक्षिण-पश्चिमी भाग में खनिज क्षेत्र स्थित है। पहले कोयले के उत्पादन में पोलैंड का संसार में छठा स्थान था यहाँ लिगनाइट, पेट्रोलियन और कच्चा लोहा मिलता है। कच्चा लोहा जेस्टोयोवा (मध्य पोलैंड) में पाया जाता है। साइलेशिया में सीसा, जस्ता, लोहा, पेट्रोलियम, ताँबा इत्यादि पाया जाता है। पोलैंड को तेल, प्राकृतिक गैस, कच्चा लोहा, गिलट, मैंगनीज, कोबाल्ट, ताँबा तथा पोटाश का आयात करना पड़ता है। यहाँ अधिकांश विद्युत शक्ति वाष्पचालित बिजलीघरों से प्राप्त होती है। १९५८ ई. से यहाँ अणुशक्ति का भी व्यवहार हो रहा है।
उद्योग धंधे � उद्योगों का विकास पोलैंड में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से हो रहा है। यहाँ के मुख्य उद्योगों में भोज्य पदार्थ बनाना, तापशामक यंत्र, धुलाई मशीन, मोटरसाइकिल, इंजीनियरी तथा धातु, वस्त्र और रसायन उद्योग उल्लेखनीय हैं। इंजीनियरी, लोहा तथार रसायन आदि भारी उद्योगों में तथा सूती, रेशमी, ऊनी कपड़ों का निर्माण हल्के उद्योग में किया जाता है किंतु कपड़े तथा अन्य उपभोग्य पदार्थो का निर्माण कम होता है।
यातायात � पोलैंड में यातायात के साधनों का समुचित विकास हुआ है। इन साधनों पर राज्य का अधिकार है। यहाँ रेलों की लंबाई २३,२५६ किमी. तथा छोटी लाइन की रेलों की लंबाई ३,१६३ किमी. (सन् १९६२) थी। बड़ी लाइन की रेलें यातायात के मुख्य साधन हैं और लगभग ८४ प्रतिशत माल ढोती हैं। यहाँ पक्की सड़कों की लंबाई १०४,४३९ किमी. (१९६२) थी। ओडर, विस्चुला तथा वारता नदियों में नावें तथा जहाज चलाए जाते हैं। पोलैंड में वायु यातायात सन् १९२२ में आरंभ हुआ था। १९६२ में देश में १७ वायुमार्ग थे, जिनका केंद्र वॉरसॉ है। कई अंतर्राष्ट्रीय वायुमार्ग वॉरसॉ से गुजरते हैं।
जनसंख्या � द्वितीय-विश्वयुद्ध के पूर्व पोलैंड की संपूर्ण जनसंख्या के ३० प्रतिशत से अधिक लोग पोलैंड निवासी नहीं थे। अब भी यहाँ पोलिश, यहूदी, यूक्रेनियन, जर्मन तथा श्वेत रूसी, बायलोरशियंस रहते हैं। यहाँ की जनसंख्या २,९७,३१,००० (१९६१) थी।
पोलिश यहां की राजकीय और प्रचलित भाषा है तथा लगभग ७० प्रतिशत लोगों की मातृभाषा है। बहुत से पोलिश जर्मन तथा रूसी भाषाएँ भी बोल लेते हैं। अनुमान किया जाता है कि लगभग ९४ प्रतिशत पोलैंड निवासी रोमन कैथोलिक धर्मावलंबी हैं। वॉरसॉ का राष्ट्रीय पुस्तकालय देश का सबसे बड़ा पुस्तकालय (१६ लाख पुस्तकें) है।
(रामेश्वर गौंतिया)