पोलजियानी, आंजेलो (१४५४-१४९४) इतालीय कवि। टस्कनी प्रांत के मांतेषल-चियानों नामक स्थान में १४ जुलाई को एंब्रोगिनी परिवार में जन्म। फ्लोरेंस में शिक्षा ली और क्लासिक तथा इब्रानी में अपूर्व दक्षता प्राप्त की; मार्सिलियो फिचिनोसे प्लेटो के दर्शन तथा अर्गीरोपली से अरस्तु के दर्शन का अध्ययन किया। गिलियो द मेदिनी के टूर्नामेंट पर लिखी एक लैटिन कविता से पहले ख्याति मिली। लारेंजो द मेदिची इनकी विद्वत्ता और साधु चरित्र से बहुत प्रभावित थे। उन्होंने पोलिजियानो को अपने बच्चों का शिक्षक नियुक्त किया और फ्लोरेंस के गिरजाघर में पौरोहित्य का एक पद भी भेंट किया। १४८४ में रोम जाने पर पोप इन्नोसेंट (अष्टम) ने बहुत प्रशंसा करते हुए पोलिजियानो का स्वागत किया।
पोलिजियानो फ़्लोरेंस में लैटिन और यूनानी के शिक्षक के रूप में जीवन व्यतीत करते रहे। इनकी लैटिन कविताओं ने (जिनमें रास्टिक्स, 'पाप्लिस्टेमन' और 'सिल्वी' मुख्य हैं) लैटिन साहित्य में एक नए युग का सूत्रपात किया। संगीत की बारीकियों का भी उन्हें अच्छा ीन पुस्तकों के संवाद और संशोधन में इनके कार्यो का यूरोपियन पुनर्जागरण युग के इतिहास में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इनकी लैटिन रचनाएँ और १२ खंडों की पत्रावली १५१२ ई. में पेरिस में प्रकाशित हुई। फ़्लारेंस में ही ये २४ सितंबर को केवल ४० वर्ष की अवस्था में दिवंगत हुए।
(लीला अवस्थी)