पो, एडगर एलेन अमरीका के कवि, कहानी लेखक और आलोचक पो की अल्पायु में मृत्यु हुई। १९ जनवरी, १८०९ को बोस्टन में पो का जन्म हुआ; १८३६ में वर्जिनिया क्लेम्स से उसका विवाह हुआ और बाल्टिमोर में ७ अक्टूबर, १८४९ में उसकी मृत्यु हुई। अभिनेता मां बाप से एडगर पो का जन्म हुआ। बाप उस परिवार को छोड़कर चला गया; और माँ की मृत्यु जब वह दो बरस का था, हो गई। रिचमंड (वर्जीनिया) के एक अमीर व्यापारी जॉन एलेन ने उसे अपने घर मे रख लिया उसका नाम एडगर एलन पो रखा; यद्यपि कानूनी तौर पर उसने उसे गोद नहीं लिया। एलेन की पत्नी जिसे बालबच्चा नहीं था, एडगर का बहुत लाड़ प्यार करती थी। परिणाम यह हुआ कि कर्ज वह चुका नहीं सका, और एलेन ने पढ़ाई के लिये पैसा देना बंद कर दिया। १८२७ में वह बौस्टन भाग गया और 'बीस्टनियन' उपनाम से 'टैमरलेन ऐंड अदर पोएम्स' नामक कविता-संग्रह प्रकाशित किया। दो वर्ष अमरीकी सेना में भी उसने काम किया, जहाँ से उसे फिर अति मद्यपान के आरोप पर निकाल दिया गया। १८२९ और १८३१ में उसने दो और छोटे कवितासंग्रह प्रकाशित कराए। उसकी पहली कहानी 'मैनस्कृप्ट फ़ाउंड इन ए बॉटल' (बोतल में प्राप्त पांडुलिपि) पर इनाम मिला और उसे 'सदर्न लिटररी मेसेंजर, पत्र में प्रवेश मिला जहाँ वह एक वर्ष के भीतर संपादक बना। फिर वह 'मेसेंजर' पत्र छोड़कर न्यूयार्क गया। वहाँ और फ़िलाडेल्फिया में वह किसी तरह जीवन के अंतिम दस वर्ष व्यतीत करता रहा, पत्रकारिता, संपादन और माँगपूर्ति वाले अनिच्छत लेखन से। 'आर्थर गार्डन पिम की कहानी को छोड़ उसकी अन्य रचनाएँ पत्र पत्रिकाओं के लिये ही लिखी गई थीं। १८४० में दो खंडों में उसकी अद्भुत भयानक कथाएँ (टेल्स ऑव दि ग्रौटेस्क ऐंड अरेबस्क) छपी और उसे बहुत यश मिला। १८४३ में 'दि गोल्ड वग' (सुनहला कीड़ा) नामक कहानी और १८४५ में 'दि वेन' प्रकाशित हुआ। १८४७ में उसकी पत्नी का लंबी बीमारी के बाद देहांत हुआ। अपना दूसरा विवाह वह निश्चित कर रहा था कि रहस्यमय ढ़ग से बाल्टीमोर के एक शराबखाने में अधिक पीकर एक चुनाव के प्रचारस्थान में वह बेहोश पाया गया। बेहोशी से वह नहीं उबर सका और अल्पायु में मर गया। मरने के बाद रेवरेंड ग्रिसवोल नामक जिस सज्जन को उसने आपने साहित्यिक कर्मो का वारिस नियुक्त किया था; उसने पो के साथ बड़ी ज्यादती की। झूठे दस्तावेज और पत्रादि छपवाकर पो के जीवन की उसने ऐसी भयानक तस्वीर खींची कि उससे पो के बारे में कई वर्षो तक लोग गंभीरता से विचार करने को तैयार नहीं थे।

पो के साहित्यिक गुणों के विषय में भी बहुत विवाद है। एक ओर इमर्सन उसे 'शब्दों का घटाटोप' जोड़नेवाला मानते हैं तो दूसरी ओर मेट्स उसे 'सर्वकालिक महान् गीतकार' मानता है। वॉदलेअर उसे बहुत बढ़ा कवि और लेखक मानता है। उसने अमरीकी साहित्य में वैज्ञानिक रहस्य कथा और जासूसी कहानी शुरु की। मनोवैज्ञानिक कहानी का भी एक तरह से वही जन्मदाता था। उसकी कुछ प्रसिद्ध कहानियाँ हैं : 'दि अनपैरेलल्ड ऐडवेंचर ऑव वन हांस फाल', 'दि फफैक्टस इन दि केस ऑव मि. वल्देमार'। आलोचक के नाते पो ने कुछ वैयक्तिक प्रखर समीक्षाएँ लिखीं। केसरिज से उसके विचार बहुत प्रभावित हैं। उसके अनुसार काव्य का मुख्य उद्देश्य 'सौंदर्य की लयमय सृष्टि है', सत्य, ज्ञान, जानकारी, नैतिक उपदेश गौण विषय है। उसके दो निबंध 'दि पोएटिक प्रिंसिपल' और 'दि फिलॉसफी ऑव कंपोजीशन' इस विषय में बॉदलेअर ने उसका अनुवाद १८५२ में किया; बेर्लैन, मालर्मे आदि फ्रांसीसी प्रतीकवादी उससे प्रभावित हुए। रूस मे दस्ताएवस्की ने उसकी कहानियों के अनुवाद किए।

(प्रभाकर बलवंत मालवे)