पौंतोमों जोकोपा (१९९४-१५५६) 'फ्लोरेंटाइन स्कूल ऑव पेंटिंग' का प्रतिनिधि कलाकार। अपने पिता के संस्कार को लेकर जन्मा जो स्वयं अच्छे कलाकार थे। बचपन में लियोनादों द विंची और तत्पश्चात् अलबर्टीनेल्ली और पिअरो द कोस्मो के साथ रहकर उसने कार्य सीखा। किशोरावस्था तक आते आते वह एक अच्छा कलाकार गिना जाने लगा। फ़ूलोरेंस में उसके कुछ भित्तिचित्र आज भी मौजूद हैं जिनमें मुख्यत: उसकी दार्शनिक अनुभूति के दर्शन होते हैं। संत जोज़ेफ पर उसके एक चित्र और दो पैनल पेंटिंग की बड़ी प्रशंसा हुई। सेंट माइकेल गिरजाघर और मोदिविसएन विला में उसने भित्तिचित्र सज्जा का कार्य किया। परवर्ती जीवनकाल में वह जर्मन कलाकार ड्योरर के काष्ठशिल्प और 'वुडकट' से बड़ा प्रभावित हुआ और उसी के संवेगों और टेकनीक के अनुकरण पर चित्र बनाता रहा। अंत में माइकेल ऐंजलो की कलाशैली भी उसपर हावी हुई। कितने ही बाहरी प्रभावों को आत्मसात् कर अपनी एक विशिष्ट मौलिकता के साथ वह वर्षो कलासाधना में जुटा रहा, पर उसके कुछ भित्तिचित्र अधूरे ही रह गए। २ जनवरी, १५५६ को फूलोरेंस में उसकी मृत्यु हुई।(शचीरानी गुर्टू)