पैंथियन रोमी देवगृह तथा पूजास्थल जिसका अर्थ है 'सभी देवताओं के निमित्त' अर्पित। यह नाम उन्हीं उपासनागृहों के लिये या जहां सभी देवताओं की पूजा होती थी। आगे चलकर आध्यात्मिक एवं प्रसिद्ध जातीय जनों की कब्रगाह के रूप में प्रयुक्त भवनों को भी यह नाम दिया गया।

इस नाम से प्रसिद्ध मुख्यतया तीन ऐतिहासिक भवनों में ऐथेंस का रोमी, रीजेंसवर्ग का जर्मन और पेरिस का फ्रासिसी पैंथियन उल्लेखनीय हैं। एथेनी पैंथियन का निर्माणकार्य सर्वप्रथम रोमी सम्राट अग्रिप्पा ने २७ ई. पू. में आरंभ किया जो संभवत: आयताकार था। इसे हाद्रियन (११७-१३८ ई.) ने सन् १२३ ई. में वृत्ताकार रूप दिया जिसमें सोप्टिमिअस, सेवरस और केराकेला ने भी परिवर्तन किए। इस वृत्ताकार भवन की गोलाई १८८ फुट, गुंबद का भीतरी व्यास लगभग १४२ फुट और फर्श से ऊँचाई लगभग १४१ फुट है। अग्रिप्पा द्वारा निर्मित प्राचीन भवन के भव्य द्वारमंडल के संमुख एक ही प्रकार के पत्थर के बने १६ बृहद् कोरिंयियन स्तंभ खड़े हैं। सन् ६०९ में जब यह भवन ईसा गिरजाधर में परिवर्तित हो गया तो इसका नाम बदलकर सेंटा मेरिया रोटंडो कर दिया गया। लगभग १३ शताब्दियों से इसका प्रयोग गिरजाधर के रूप में होता आया है। रेफेल और विक्टर एमुनिएल इसी में दफनाए गए हैं।

जर्मन पैंथियन का निर्माण ववेरिया के लुडविग प्रथम द्वारा जर्मन वीरों की स्मृति में हुआ था। इसे वैलहैल (Valhalla) भी कहते हैं। पेरिस के सेंट जैनेवीव के गिरजाधर को फ्रांसीसी क्रांतिकारियों ने पैंथियन नाम दिया था। १८ वीं शताब्दी के आरंभ में नव क्लासिक शैली में इसका निर्माण हुआ था। कब्रगाह के रूप में इसका उपयोग पहले भी हुआ था और बाद में यह दो बार गिरजाघर भी बना। लेकिन १८८४ से यह कब्रगाह के ही काम आ रहा है। यहाँ फ्रांस की महान् विभूतियों मिराबो, मैरे, वोत्तेयर, रूसो, ह्यूगो आदि की कब्रें हैं।(श्याम तिवारी)