पेटर, वाल्टर वाल्टर होरेशियो का जन्म शैडविल (इंग्लैंड) में ४ अगस्त १८३९, को हुआ और मृत्यु ऑक्सफ़ोर्ड में ३० जुलाई, १८९४ को। अंग्रेजी साहित्य में सौंदर्यवादी समालोचक के नाते उसकी ख्याति हे। पेटर की शिक्षा ऑक्सफोर्ड के क्वीन्स कॉलेज में हुई। वह १८६४ में ब्रांसेनोज का फेलो चुना गया। परंतु उसे शिक्षक का व्यवसाय चुना और पूरी शक्ति लेखनकार्य में लगा दी। यूरोप में उसने भ्रमण भी किया। उस समय फ्रांस में 'कला के लिये कला' वाला सिद्धांत बहुप्रचिलित था और पेटर ने भी अंग्रेजी साहित्य में यह सिद्धांत उत्साह के साथ प्रतिष्ठित किया। वाल्टर पेटर की प्रमुख कृतियाँ है : 'स्टडीज इन दि हिस्ट्री ऑव दि रिनेसॉ' (पुनर्जागरण के इतिहास के कुछ अध्ययन, १८३); 'मेरियस दि एपिक्यूरिअन : हिज सेन्सेशन्स ऐंड आइडियाज' (मेरियस आनंदोपभोगवादी, उनकी संवेदनाएँ ओर विचार; दो खड १८८५); 'इमैजिनरी पेर्टेट्स' (काल्पनिक व्यक्तिचित्र १८८७); 'प्लेटो ऐंड प्लेटोनिज्म : ए सीरीज ऑव लेक्चसं' (प्लेटो) और प्लेटोवाद : व्याख्यानमाला, १८९३; ऐप्रीसिएशंस : विथ ऐन एसे ऑन स्टाइल' (प्रशंसाएँ : शैली पर एक निबंध सहित, १८८९)

पेटर का सौंदर्यवाद प्री-रैफेलाइटों, रोजेंटी ओर आस्कर वाइल्ड और बाद में मिडिलटन मरे के सौंदर्यवाद से भिन्न था। पेटर विशुद्ध सौंदर्य की जब स्तुति करता है, शुद्ध इंद्रियोभोगवादियों से वह भिन्न है। वह आदर्शवादियों की कला पर कलेतर नीतिनियम या बाह्य उद्देश्यवादिता के बंधनों के विरुद्ध है। वह अनुभूतियों की उपलब्धि कलाकार के लिये आवश्यक मानता है। परंतु यह आस्कर वाइल्ड की तरह विकृति और शुद्ध इंद्रियोपभोग का स्पष्ट समर्थन पसंद नहीं करता। पेटर के लिये कला केवल नक्काशी नहीं थी, न बौद्धिक व्यायाम। वह कला के क्षेत्र में संपूर्ण जीवन को लेता था, परंतु व्यक्तित्व के सामंजस्यपूर्ण विकास के लिये मानवी सुरुचि और संभावनाओं के संतुलित संस्कार में विश्वास करता था। समालोचक के नाते पेटर में कई दोष भी हैं। वह वर्डस्वर्थ और कोलरिज के बारे में बहुत बुरी तरह पूर्वाग्रह से लिखता ह। कभी उसे ऐतिहासिक समीक्षा ग्राह्य जान पड़ती है, कभी वह उसकी उपेक्षा करता है। उसकी अंतिम और परिपक्व कृतियों में वह साहित्य कला के रूप और अभिव्यंजना पद्धति पर विशेष रूप से विचार करता है। शैली संबंधी उसका निबंध अंग्रेजी साहित्य की प्रमुख विचारप्रवर्तक उपलब्धि है।

(प्रभाकर बलवंत मालवे)