पेंक, आल्ब्रेख्ट (Penck, Albrecht सन् १८५८-१९४५) जर्मन भूगोलविद् एवं भूविद् थे। इनका जन्म राउडिट्ज में हुआ था।

इन्होंने विभिन्न धरातलीय स्वरूप के निर्माण एवं इसके लिये उत्तरदायी प्रक्रियाओं की विवेचना एवं संबंधित सिद्धांतों के प्रतिपादन में महत्वपूर्ण कार्य किया है। सन् १९०५ में इन्होंने प्रतिपादित किया कि भौम्याकृतियों के विकासक्रम में संरचना की अपेक्षा प्रक्रिया (process) श्रेष्ठतर एवं अधिक प्रभावशाली होती है। इन्होंने अपने इस सिद्धांत को नदीघाटी के विकासक्रम में ढालों के क्रमिक परिवर्तित स्वरूपों एवं प्रयासमभूमि (peneplain) की निर्माण क्रिया द्वारा स्पष्ट किया। पृथ्वी के मानचित्र को १: १०,००,००० मापक पर तैयार करने की विधि में विकास किया। इन्होंने तृतीयक (Tertiary) एवं डिल्यूवियल (Diluvial) काल में हिमानियों के निर्माण एवं हिमयुग का अध्ययन किया था। ये सन् १८८६ से १९०६ तक बर्लिन में समुद्रविज्ञान संस्था एवं भूगोल परिषद् के निदेशक रहे। इनके कई प्रकाशन महत्व के हैं।

(काशीनाथ सिंह)