पुलोमा यह दैत्यराज वैश्वानर की कन्या थी जिसका विवाह महर्षि भृगु से हुआ। पुलोमा के गर्भवती होने पर उसे राक्षस बलपूर्वक पकड़ ले गया। इसपर गर्भस्थ बालक क्रुद्ध होकर पृथ्वी पर गिर पड़ा जिससे उसका नाम च्यवन (चू पड़नेवाला) पड़ गया। यही च्यवन ऋषि प्रसिद्ध हुए जिन्हें अश्विनीकुमारों ने च्यवनप्राश खिलाकर बुढ़ापे में जवान कर दिया था।(रामाज्ञा द्विवेदी)