पुलिया सड़क अथवा रेलपथ में पड़े या नाला को, अथवा बरसाती पानी के बहाव को, पार करने के लिए पुल या पुलिया का निर्माण करना पड़ता है। अगर पानी निकलने का रास्ता कुल मिलकर २० फुट या उससे कम हो, तो उसे पार करने के लिए बनी रचना तो पुलिया (culvert) कहते हैं। यदि पानी निकलने का कुल रास्ता २० फुट से अधिक हो, तो उसे 'पुल' की संज्ञा दी जाती है।
पुलियाँ कई प्रकार की होती हैं, जिनका विभाजन उनके आकार पर होता है, जैसे डाटदार (arched) अथवा पटावदार (slab) पुलिया, या गोल पाइपनुमा पुलिया इत्यादि। सबसे अधिक प्रयोग डाटदार पुलियों का हुआ है। डाट ईटं, पत्थर या कंक्रीट की अर्धगोलाकार, वृत्तखंडाकार अथवा दीर्घवृत्ताकार (elliptical) बनाई जाती है। पहले ईटं तथा पत्थर का प्रयोग प्रचुर मात्रा में किया जाता था, पर आजकल सीमेंट का उत्पादन के बढ़ जाने कारण प्रबलित सीमेंट कंक्रीट की पटावदार पुलियों का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। पटावदार पुलियों में लोहे के, या कँक्रीट के गर्डर ढालकर, बड़े दरों के घरन और पटिया पुलियाँ भी बनती हैं।
ईटं तथा पत्थर के अतिरिक्त अन्य निर्माण सामग्री, जैसे लकड़ी तथा लोहे, का भी प्रयोग पुलिया के निर्माण में हो सकता है। जहाँ लकड़ी बहुतायत से उपलब्ध हो, जैसे असम अथवा पहाड़ी प्रदेशों में, वहाँ लकड़ी के प्रयोग में कम खर्च पड़ता है। प्रबलित सीमेंट कंक्रीट की चौकोर बक्सनुमा पुलियों का प्राचीन भी बढ़ रहा है।
शीघ्र निर्माण के लिए, नालीदार लोहे की चादर से फैक्टरियों में निर्मित, आर्मको कंपनी की आर्मको-पाइप (Armcopipe) पुलियों के लिए बहुत उपयुक्त है। इसी प्रकार ह्यूम पाइप कंपनी के बनाए हुए, दो से तीन फुट व्यास तक के, नलों का प्रयोग छोटी पुलियों तथा सिंचाई के लिए गूल पुलियों के लिए उपयोगी पाया गया है।
पुलिया
का अभिकल्प (design) बनाने के लिए पानी
का निस्सरण (discharge) जानना आवश्यक है।
यह अभिकल्प डिकेंस (Dickens), राइव (Ryve)
अथवा मैनिंग (Manning) इत्यादि के सूत्र द्वारा
मालूम किया जा सकता है (देखें पुल)। इनके अतिरिक्त; पुलिया
का जलमार्ग निकालने के लिए टैलबॉट का सूत्र प्रचलित है, जो
इस प्रकार है : जलमार्ग =
C
A
।
यहाँ
C =
नियतांक, (जो जलवायु तथा स्थान की रूपरेखा पर निर्भर है
तथा पहाड़ी स्थल के लिए , ढालवाँ जमीन
के लिए
श्और
सपाट स्थल के लिए
श्से
श्तक
होता है) तथा A =
स्रवण क्षेत्र (catchment area)।
पुलिया के मुख्य अंग निम्नलिखित हैं :
(१) अंत्याधार (abutment), अर्थात् वह अंतिम पाया जो पुलिया के पीछे की मिट्टी के भराव को रोकता है तथा जिसपर डाट या पटाव का भार पड़ता है (अगर कई दरों की पुलिया हो तो अंत्याधारों के बीच में पाए भी देने पड़ते हैं), (२) पटाव, (३) फर्श, (४) बाजू दीवार (wind walls) तथा (५) मुंडेर (parapets)।
अंत्याधार तथा पाए में यह भेद होता है कि पाया डाट या पटाव का तथा ऊपर भरी मिट्टी और गाड़ियों इत्यादि का बोझ सँभालता है, पर अंत्याधार इन बोझों (loads) के अतिरिक्त पुलिया के पीछे मिट्टी के भराव के क्षैतिज बल को भी संभालता है।
चित्र में अत्याधार तथा पायों के ऊपरी हिस्से की चौड़ाई (१ : ६ सीमेंट की चुनाई में) दिखाई गई है। क. प्रबलित सीमेंट कंक्रीट की पटिया, मा.स.=मार्ग सतह, ख. खुली जगह, छ. छूट (free board), उ.वा.त.=उच्च बाढ़ तल, ऊ. ऊँचाई तथा फ.त.=फर्श का तल।
अंत्याधार तथा पायों के ऊपरी हिस्से की चौड़ाई पटावदार पुलिया के लिए (१.६ सीमेंट की चुनाई में) :
खुला दर |
अंत्याधार का 'क' इंचों में |
पाए का 'ख' इंचों में |
५ फुट |
१५ |
१५ |
१० फुट |
१८ |
१८ |
२० फुट |
२४ |
२४ |
ईटं के डाटवाली पुलिया में डाट की मोटाई स्प्रिंगिंग (springing) के पास निम्नलिखित रूप से निकाली जा सकती है :
डाट
की मोटाई =
श्;
यहाँ R = अर्धव्यास तथा h = मेहराब की ऊंचाई (rise of arch)।
डाटदार पुलिया के पाए के ऊपर की मोटाई के लिए निम्नलिखित सूत्र का उपयोग होता है :
मोटाई,
डाट के ऊपरी हिस्से में =
श्फुट,
(at the crown)
जहाँ
R =
श्फुट
और D
=
श्फुट
तथा D
= हाँच भराई
(haunch fill) की गहराई, S
=स्पष्ट दर (span),
a =
आधा स्पष्ट दर, h = ऊँचाई और
R =
इंट्रोड्स (introdes) का अर्धव्यास।
पटावदार पुलिया के स्लैब की मोटाई की सारणि लेख के अंत में दी है।
इंडियन रोड कांग्रेस के 'क' वर्ग के भार के लिए चिनाई की डाटों की मापें आगे की सारणी में दी हैं, जिसमें
t1 = उस मेहराब की मोटाई, जो गढ़े पत्थर या कंक्रीट के पिंडों से १:३ सीमेंटवाले गारे का बना हो;
t2 = उस मेहराब की मोटाई, जो प्रथम श्रेणी की ईटं तथा १:२ चूने गारे से बना हो;
t3 = उस मेहराब की मोटाई, जो प्रथम श्रेणी की ईटं तथा १:३ चूने के गारे से बना हो;
E1 = उस अत्याचार का सिरा, जो १:३ सीमेंट के गारे तथा पत्थर की चिनाई से बना हो;
E2 = उस अत्याचार का सिरा, जो १:३ सीमेंट के गारे तथा प्रथम श्रेणी की ईटों से बना हो;
P1 = उस पाए सिरा, जो १:३ सीमेंट गारे तथा पत्थर की चिनाई से बना हो;
P2 = उस पाए सिरा, जो २:३ सीमेंट गारे तथा प्रथम श्रेणी की ईटों से बना हो;
P3 = उस पाए सिरा, जो १:२ चूना गारे तथा प्रथम श्रेणी की ईटों से बना हो;
G1 = १:३:६ सीमेंट कंक्रीट से निर्मित नींव की गहराई;
G1 = १:४:८ सीमेंट कंक्रीट, या अच्छा चूना कंक्रीट, से बनी नींव की गहराई।
डाटों की मापें |
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दर फुट में |
३ |
५ |
१० |
१५ |
२० |
t1 |
|
१ |
१ |
|
|
t2 |
|
|
|
|
|
t3 |
|
|
|
|
|
t4 |
|
|
२ |
२ |
२ |
E1 |
२ |
|
|
|
५ |
E2 |
|
३ |
|
|
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P1 |
|
|
|
|
|
P2 |
|
|
|
३ |
|
P3 |
|
|
३ |
|
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G1 |
१ |
|
|
|
२ |
G2 |
|
|
२ |
|
|
W1 |
|
|
|
|
|
W2 |
|
|
|
|
|
विभिन्न मिटट्ी के भराव के लिए, बाजू दीवार के आधार तल की मोटाई (bottom width) निम्नलिखित सारणी से निकाली जा सकती हैं :
सीधी बाजू दीवार, ऊपर की चौड़ाई १¢-६¢¢ |
||||
तली पर चौड़ाई, निम्नलिखित भराव की ऊँचाई के लिए |
||||
१०¢ |
१५¢ |
२०¢ |
२५¢ |
३०¢ |
|
|
|
|
१८¢ |
पटावदार पुलिया के स्लैव की मोटाई I.R.C.'A' क्लास बोझ के लिए: (३ इंच मोटी फर्श के लिए) |
|||||||
खुला दर (span) फुटों में |
पटिया की कुल गहराई, ३ इंच मोटे घिसाई-आवरण को छोड़कर |
पटिया की प्रभावी गहराई इंचों में |
प्रमुख प्रतिबलन |
वितरण प्रतिबसन |
|||
छड़ का व्यास इंचों में |
अंतरण (spacing) केंद्र की केंद्र से दूरी इंचों में |
प्रत्येक सिरे पर धुरी से बँधे छड़ों की संख्या |
व्यास इंचों में |
दर के मध्य भाग का अंतरण इंचों में |
|||
३ |
७.०० |
५.७५ |
|
|
कुछ नहीं |
|
७ |
५ |
८.०० |
६.७५ |
|
४ |
प्रति चार में एक |
|
|
१० |
१२.७५ |
११.५० |
|
|
प्रति चार में एक |
|
११ |
१५ |
१७.०० |
१५.५ |
१ |
|
प्रति दो में एक |
|
|
२० |
२१.०० |
१५.९ |
१ |
५ |
प्रति दो में एक |
|
९ |
(कार्तिक प्रसाद)