पुलस्तय इनकी गणना एक कल्प के सप्तर्षियों में की जाती है और ये ब्रह्मा के मानसपुत्र माने जाते हैं। प्रजापतियों में भी इनका उच्च स्थान है। इन्हीं के पुत्र विश्रवा रावण के पिता थे। तुलसीदास ने रावण के संबंध में उल्लेख करते हुए लिखा है- उत्तम कुल पुलस्त्य कर गाती। विश्रवा के दो पत्नियाँ थीं, बड़ी से कुबेर हुए और छोटी से रावण तथा उसके दो भाई।

(रामाज्ञा द्विवेदी)