पुरूरवा 'ऐल' उपाधिधारी वैदिक सूत्रकार तथा मंत्रद्रष्टा पुरूरवस् 'ऐल' (क्र., १०।९५) जो इला का पुत्र और उर्वशी का प्रेमी था (शत. ब्रा. ११।५।१)। पुराणों में इसे सोमवंश का स्थापक (वायु., ९१।४९), प्रयाग तथा काशी का नरेश (ह. पृ., २।२६।४९, वा. रा., उ. २५), १३ समुद्री द्वीपों का अधिपति (म. आ., ७०।१७), सप्तद्वीप का राजा, सौ अश्वमेघ यज्ञों का कर्ता (मत्स्य, २४।१३) मनुपुत्री इला से उत्पन्न बुध का पुत्र (मत्स्य, १२।१५, पद्म., सृ., ८; भाग. ९।१५) कहा गया है जिसकी राजधानी प्रतिष्ठान में थी (ह. पु. १।१०।२२)। विष्णु की आराधना करने (पद्म, उ. १२५), तपश्चर्या करने (मत्स्य. १।१५) अथवा अग्नि की उपासना करने (अग्नि., २७४।१४) से इसका रूप बड़ा सुंदर हो गया और जब नारद ने देवसभा में पुरूरवा के गुणों की प्रशंसा की तो उर्वशी इसपर मोहित हो गई और स्वर्ग से पृथ्वी पर आई (ह. पु., १।३४।१४)। लेकिन इससे उर्वशी के प्रेमसंबंध के पीछे तीन शर्तें लगीं और गंधर्वों के कुचक्र से शर्त के टूट जाने पर उन दोनों का संबंध सदा के लिए टूट गया (वही)। (दे. उर्वशी)।
(श्याम तिवारी)