पुरु इस नाम के दो प्रसिद्ध राजा हुए हैं। एक तो ययाति के पुत्र जिनकी माता शर्मिष्ठा थी (दे. ययाति तथा शर्मिष्ठा) और उन्होंने अपने पिता का बुढ़ापा स्वीकार किया था। इससे पिता परम प्रसन्न हुए। यद्यपि पुरु अपने भाइयों में सबसे छोटे थे पर इसी करण ययाति क राज्य उन्हें ही मिला। पुरु के तीन पुत्र हुए, प्रवीर, ईश्वर तथा रौद्रास्व। इनकी विस्तृत कथा महाभारत में दी है।
दूसरे पुरु हस्तिनापुर के चंद्रवंशी राजा थे जिन्होंने सिकंदर के आक्रमण का वितस्ता नदी पर रोक दिया था। यद्यपि सिकंदर ने पुरु को हराकर बंदी बना लिया था, तथापि अंत में प्रसन्न होकर इनका राज्य लौटा दिया। कहते हैं, बंदी पुरु से जब सिकंदर ने पूछा कि अब आप क्या चाहते हैं? तो पुरु ने बड़े धैर्य और ठाठ से उत्तर दिया 'वही जो एक राजा को दूसरे राजा से चाहिए।(रामाज्ञा द्विवेदी)