पुनर्विन्यास, अणुओं का हमें अच्छी तरह ज्ञात है कि कार्बनिक योगिकों के अणुओं का निर्माण कार्बन, हाइड्रोजन तथा अन्य परमाणुओं के विशेष विन्यास से होता है। इन यौगिकों के सूत्रों को, जिनसे अणुओं में परमाणुओं के विन्यास का ढंग मालूम होता है।
पुनर्विन्यान अनुत्क्रमणीय (irreversible) अभिक्रिया सूचित करता है, जिसमें अणु के सरंचनाविन्यास में परिवर्तन हुआ है। ऐसे परिवर्तनों में साधारण अणुओं में कुछ अंश जैसे पानी, या हाइड्रोजन हैलाइड, का विलोपन भी संभव है। इस प्रकार के पूनर्विन्यासों में अपेक्षाकृत छोटे छोटे परिवर्तन ही सन्निहित हैं, जैसे द्विबंध का बनना, या द्विबंध का स्थानांतरण और कार्बन पंजर में अल्प परिवर्तन। ऐलिलिक (allylic) यौगिकों के प्रतिस्थापन में द्विबंध का स्थानांतरण बहुधा देखने में आता है। जहाँ तक कार्बन पंजर के पुनविंन्यास का संबंध है, ये बहुधा उच्च शाखावाले तंत्रों में ही देखे जाते हैं। ऐसे पुनविन्यास के उदाहरण निम्नलिखित हैं :
ऐलिलिक पुनविंन्यास (Allylic rearrangement):
क्रोटिल ऐलकोहल मेथिल विनिल कार्बिनोल
पंजर पुनर्विन्यास (skeleton rearrangement)
:
नियोपेंटिल आयोडाइड २- मेथिल- २- ब्यूटेनॉल
२- मेथिल- २- ब्यूटिल नाइट्रेट
कार्बनिक रसायन के अध्ययन में एक धारणा यह है कि अभिक्रियाएँ विभिन्न सक्रिय समूह पर संपन्न होती पाई जाती हैं और कार्बन पंजर अपरिवर्तित रह जाता है। पर बहुत सी ऐसी अभिक्रियाएँ भी पाई गई हैं जिनमें सक्रिय समूह अणुओं के भीतर ही अभिगमन करते हैं, या कार्बन के पंजर भी बदल जाते हैं।
अपूर्ण इलेक्ट्रॉन निकायों का पुनर्विन्यास (Rearrangement of Electron Deficient Systems) - अणुओं के पुनर्विन्यासों में ऐसे पुनर्विन्यास का बहुत बड़ा कुटुंब भी सम्मिलित है जिसमें कार्बन से एक समूह का अभिगमन बगलवाले ऐसे परमाणु पर होता है जिसे संयोजकता कोश (valance shell) में केवल छह इलेक्ट्रॉन होते हैं। पुनर्विन्यास करनेवाली वस्तु या तो धनायन होती है, अथवा उदासीन अणु, लेकिन अभिगमन समूह कभी भी अणु को छोड़ता नहीं है, जैसा निम्नांकित चित्रण से मालूम होता है :
श्
---------->
जहाँ A=एक परमाणु और Z=अभिगमन समूह हैं।
प्रचुर इलेक्ट्रॉन निकायों (Electron Rich System) का पुनर्विन्यास - इस प्रकार के पुनर्विन्यासों के समूह उपर्युक्त पुनर्विन्यासों के इलेक्ट्रॉनिक प्रतिरूप (electronic counterparts) कहलाते हैं। इन पुनविंन्यासों का सूत्रपात साधारणतया उन मौलिक अभिकअंकों (basic reagents) द्वारा होता है जो एक समूह अथवा परमाणु को हटाते हैं, जैसे हाइड्रोजन। उसके बाद अवशिष्ट ऋणायन (residual anion) पुनविंन्यास के बाद स्वयं को स्थिर करता है। जैस नीचे दिखाया गया है :
जहाँ B= अ
भिकर्मक
द्विबंधों तथा त्रिबंधों का अभिगमन (Migration) - ऐलिलिक पुनर्विन्यास : ऐलिलिक पुनर्विन्यास में प्रतिस्थापन अभिक्रियाएँ अक्सर द्विबंध का अभिगमन दर्शाती हैं। कार्बन-पंजर में यह अभिगमन अपने प्रारंभिक स्थान से बगलवाले स्थान पर होता है।
ऐरोमेटिक वलय में पुनर्विन्यास - बहुत सी अभिक्रियाओं में एक समूह A विषय परमाणु Z से स्थानांतरित होता है और सीधे प्रतिस्थापित बेंजीन वलय ऑर्थो (Ortho) या पैरा (Para) स्थानों पर संयुक्त हो जाता है।
चूँकि करीब करीब सभी अभिक्रियाएँ अम्ल द्वारा उत्प्रेरित होता हैं, अतएव Z का नाभि पर आक्रमण इलेक्ट्रोफीलिक प्रतिस्थापन प्रतिक्रिया (electrophilic substitution reaction) का कुछ गुण रखता है। इस प्रकार की अभिक्रियाओं का सर्वोत्तम वर्गीकरण ॠ की प्रकृति पर आधृत होता है। यह विषय परमाणु प्रारंभिक अभिगमन समूह को पकड़े रहता है।
(अनंतलाल )