पील, सर राबर्ट (१७८८-१८५०) इंगलैड का प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ। लंकाशायर में बरी के निकट ५ फरवरी, १७८८ को पील का जन्म हुआ। इसके पिता का नाम भी राबर्ट पील था। उसने कताई के व्यवसाय में काफी संपत्ति अर्जित की थी और कई वर्षों तक टैमवर्थ से पार्लमेंट का सदस्य रहा था। वह टोरी दल का सदस्य था। बैरोनेट की उपाधि भी उसको प्राप्त थी। घर के परंपराप्रिय वातावरण में पुत्र पील का बचपन बीता। हैरो के प्रसिद्ध स्कूल और आक्सफर्ढ के क्राइस्टचर्च कालेज में उसकी शिक्षा हुई। प्राचीन साहित्य और गणित प्रत्येक में प्रथम श्रेणी प्राप्त कर उसने १८०८ में बी.ए. की डिग्री ली। अगले वर्ष ही टोरी दल के सदस्य के रूप में कैश्ल से पार्लमेंट का सदस्य निर्वाचित हुआ। १८११ में वह उपनिवेशों का उपसचिव नियुक्त हुआ और १८१२ में आयरलैंड का सचिव। कैथलिकों के विरोध की नीति और पुलिस संगठन के कार्यो से छह वर्षों के कार्यकाल में आयरलैंड की बहुसंख्यक प्रजा को उसने अपना शत्रु बना लिया था। १८१७ में वह आक्सफोर्ड से पार्लमेंट का सदस्य चुना गया और शीघ्र ही आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ के रूप में प्रसिद्ध हो गया। १८१९ में वह बक कमेटी का अध्यक्ष नियुक्त हुआ। कागजी मुद्रा के प्रसार को सीमित करने और नकद भुगतान को फिर से जारी करने के लिए उसने पार्लमेंट से बिल स्वीकृत कराया। १८२२ में वह गृहसचिव नियुक्त हुआ। फौजदारी कानून में संशोधन उसका इस काल का महत्वपूर्ण कार्य था। वह टोर सिद्धांतों का समर्थक था। कैथलिकों के उद्धार के प्रश्न पर प्रधान मंत्री कैनिंग से मतभेद के करण १८२७ में पील मंत्रिमंडल से हट गया। अगले वर्ष वैलिंगटन के ड्यूक के मंत्रिमंडल में उसने फिर गृहसचिव का पद सँभाला और दो वर्षों तक इस पद पर रहा। इस अवधि में उसने लंदन की पुलिस का नया संगठन किया। कोर्पोरेशन और टेस्ट-ऐक्टों के संबंध में दल से भिन्न मत व्यक्त किया और मार्च १८२९ में केथलिक एमेंसिपेशन बिल का पार्लमेंट में समर्थन कर अपनी पार्टी को शत्रु बना लिया। ह्विगों के समर्थन के कारण यह बिल बहुमत से स्वीकृत हुआ पर १८३० के निर्वाचन में आक्सफर्ड ने पील को अपने क्षेत्र से पार्लमेंट में नहीं भेजा। इस वर्ष ही पिता की मृत्यु के कारण उसकी संपत्ति और उपाधि पील को प्राप्त हुई। टोरी दल को भी निर्वाचन में अल्पमत मिला। शासनसूत्र ह्विग दल के हाथ में आया। उनके मंत्रिमंडल ने पार्लमेंट के सुधार का प्रश्न उठाया और टोरी दल का उग्र विरोध सफल नहीं हुआ। १८३२ में बिल स्वीकृत हो गया। पील ने सुधार योजना का बहुत विरोध किया था पर १८३३ के चुनाव में वह टैमवर्थ से पार्लमेंट में पहुँच गया। चुनाव के पूर्व एक वक्तव्य में अपने सिद्धांतों के बारे में उसने कहा था कि वह किसी भी व्यवस्था का अंध अनुयायी नहीं है, प्रचलित व्यवस्थाओं में आवश्यकतानुसार परिवर्तन का वह समर्थन करेगा। १८३४-३५ में पाँच महीने वह प्रधानमंत्री रहा। अप्रैल मास में पद से हटने के पाँच बर्षों बाद तक वह दल को संगठित करने में लगा रहा। टारी दल को कांजर्वेटिव दल नाम देने का श्रेय पल को है। सुधारों के प्रति सदा ही विरोध की नीति अपनाने से दल को विरत करने में कई अवसरों पर वह सफल रहा। रानी की सेवा में नियुक्त महिलाओं के प्रश्न पर मतभेद के कारण सन् १८३९ में उसने प्रधान मंत्री का पद स्वीकार नहीं किया। पर अगले चुनाव में दल का बहुमत होने पर १८४१ में उसने इस पद का भार सँभाला और पाँच वर्षों तक देश का प्रधान मंत्री रहा। इस काल में घर और बाहर के देशों में इंगलैंड की स्थिति को सुधारने में पील ने अपनी समस्त शक्ति लगाई। सरकार की आय में दस करोड़ पौंड का घाटा था। खेती की बरबादी और अनाज तथा वस्तुओं के ऊँचे मूल्य के कारण प्रजा त्रस्त थी। पील ने अनावश्यक व्यय में काट छाँट, आयात करों में कमी, लगभग ७५० व्यापारिक वस्तुओं पर चुंगी की समाप्ति और आयकर द्वारा हानि की पूर्ति कर राज्य की आर्थिक स्थिति में सुधार किया और प्रजा को कुछ सुविधाएँ दीं। कारखानों में काम करनेवाले श्रमिकों, विशेषकर स्त्रियों और बालकों के हितों के कानून बनवाए और १८४६ में अनाज संरक्षण कानून को समाप्त कर प्रजा को सस्ती खाद्य सामग्री सुलभ की। आयरलैंड के कैथलिकों के इंगलैंड विरोधी आंदोलन का उसने दमन किया पर १८४४-४५ के अकाल पीड़ितों की पर्याप्त सहायता की। मेनूथ के रोमन कैथलिक विद्यालय को सरकारी सहायता दिलाई और कैथलिकों की शिक्षा के लिए तीन नए विद्यालय आयलैंड में स्थापित किए। वहाँ की भूमि पर सुझाव देने के लिए १८४३ में डेवन कमीशन नियुक्त किया पर कमीशन के सुझावों को कार्यान्वित करने से पहले ही पील का मंत्रिमंडल समाप्त हो गया। विदेशों के संबंध में पील ने सम्मानपूर्ण शांति नीति अपनाई। फ्रांस और अमरीका से बिगड़े संबंधों को सुधारा। पिछले मंत्रिमंडल की देन चीन और अफ़गानिस्तान के युद्धों को समाप्त किया। स्वतंत्र व्यापारनीति और अनाजसंरक्षण कानून की समाप्ति के समर्थन के कारण पील के विरोधियों की संख्या बढ़ गई। ह्विगों और संरक्षण के समर्थकों ने १८४६ में आयलैंड के उपद्रवों की रोकथाम के लिए 'कोअर्शन' बिल को अस्वीकृत कर दिया। पील अपने पद से हट गया। २९ जून, १८५० का लंदन के हाइड पार्क में सैर करते हुए वह घोड़े से गिर पड़ा और २ जुलाई को उसकी मृत्यु हो गई। पील अत्यंत परिश्रमी, योग्य, कुशल और मेधावी व्यक्ति था। इस कारण कुछ अवसरों पर दल के मत से भिन्न मत उसने व्यक्त किया। इंगलैंड के राजनीतिज्ञों और प्रधान मंत्रियों में पील का विशिष्ट स्थान है।(त्रिलोचन पंत)