पीठ वह देवस्थान अथवा तीर्थ जहाँ जप, पुरश्चरण आदि करने से उसकी सिद्धि प्राप्त होती है। तंत्रसाहित्य में इनकी बड़ी महिमा बताई गई है। ये स्थान शिव अथवा शक्तिपीठ के नाम से अभिहित किए जाते हैं। इनकी संख्या भिन्न-भिन्न ग्रंथों में भिन्न-भिन्न मिलती है। पुराणानुसार सतीदाह के पश्चात् जब शिव ने अपने गणों द्वारा दक्षयज्ञ का विध्वंस करा दिया और अधीरतापूर्वक सती का मृत शरीर कंधे पर रख उद्घतभाव से विश्व में घूमने लगे, तो ब्रह्मांड डावॉडोल हो उठा। यह देख विष्णु ने शिव को स्थिर करने के लिए अपने चक्र अथवा शर से सती के अंग प्रत्यंग काट डाले। उनका अंग-प्रत्यंग ५१ खंडों में कटकर जिन-जिन स्थानों पर गिरा वे सभी महापीठ कहलाते हैं। देवी भागवत के अनुसार इन पीठों की संख्या १०८ है जहाँ शिवजी अनेक रूपों में निवास करते हैं। यदि इन्हें जाने बिना कोई इन पीठों में जपादि कर्म करे तो वह निष्फल चला जाता है। पीठ के देवताओं के अतिरिक्त अन्य देवता की पूजा करने से भैरव उसका अपहरण कर लेते हैं। तंत्रग्रंथों में इन पीठों तथा उपपीठों की भिन्न-भिन्न संख्याएँ बताई गई हैं तथा उनके भैरव एवं शक्ति आदि में भी एकरूपता नहीं है। तत्वचूड़ामणि के अनुसार ५१ पीठों सहित उनका विवरण निम्नांकित है, अंतिम दो पीठों का उल्लेख सर्वत्र नहीं है।
स्थाननाम |
नाम (अलंकार एवं अंग) |
शक्ति |
भैरव |
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ब्रह्मरध्रं |
कोट्टवीशा |
भीमलोचन |
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तीनों चक्षु |
महिषमर्दिनी |
क्रोधीश |
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नासिका |
सुनंदा |
त््रयंबक |
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कंठदेश |
महामाया |
त्रिसंध्येश्वर |
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स्तन |
त्रिपुरमालिनी |
भीषण |
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महाजिह्वा |
सिद्धिदा |
उन्मत्तभैरव |
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हृदय |
जयदुर्गा |
वैद्यनाथ |
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जानु |
महामाया |
कपाली |
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दक्षिणहस्त |
दाक्षायणी |
अमर |
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नाभिदेश |
विमला |
जगन्नाथ |
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गंडस्थल |
गंडकी |
चक्रपाणि |
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वामबाहु |
बहुलादेवी |
भीरुक |
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कूर्पर |
मंगलचंडिका |
कपिलांबर |
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दक्षिणपद |
त्रिपुरसुंदरी |
त्रिपूरेश |
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दक्षिणबाहु |
भवानी |
चंद्रशेखर |
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वामपद |
भ्रामरी |
भैरवेश्वर |
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योनिदेश |
कामाख्या |
उमानंद |
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हस्तांगुलि |
ललिता |
भव |
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वामजंघा |
जयंती |
क्रमदीश्वर |
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दक्षिणांगुष्ठ |
भूतधात्री |
क्षीरखंडक |
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दक्षिणपादांगुलि |
कालिका |
नकुलीश |
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किरीट |
विमला |
संवरी |
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कर्णकुंडल |
विशालाक्षी मणिकर्णी |
कालभैरव |
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पृष्ठ |
सर्वाणी |
निमिष |
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गुल्फ |
सावित्री |
स्वाणु |
|
दो मणिबंध |
गायत्री |
सर्वानंद |
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ग्रीवा |
महालक्ष्मी |
शंबरानंद |
|
अस्थि |
देवगर्भा |
रुरु |
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नितंब |
काली |
असितांग |
|
नितंबक |
नर्मदा |
भद्रसेन |
|
अन्य स्तन |
शिवानी |
चंडभैरव |
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केशपाश |
उमा |
भूतेश |
|
ऊर्ध्वदंत |
नारायणी |
संहार |
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अधोदंत |
वाराही |
महारुद्र |
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तल्प |
अपर्णा |
वामनभैरव |
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दक्षिणगुल्फ |
श्रीसुंदरी |
सुंदरानंदभैरव |
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वामगुल्फ |
कपालिनी |
सर्वानंद |
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उदर |
चंद्रभागा |
वक्रतुंड |
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ऊर्ध्वीष्ठ |
अवंती |
लंबकर्ण |
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दोनों चिबुक |
भ्रामरी |
विकृताक्ष |
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वामगंड |
राकिनी |
घत्सनाभ |
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गंड |
विश्वेषी |
दंडपाणि |
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दक्षिणस्कंध |
कुमारी |
शिव |
|
वामस्कंध |
उमा |
महोदर |
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नला |
कालिकादेवी |
योगेश |
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कर्ण |
जयदुर्गा |
अभीरु |
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मन: |
महिषमर्दिनी |
वक्रनाथ |
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पाणिपद्म |
यशोरेश्वरी |
चंड |
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ओष्ठ |
फुल्लरा |
क्यियवेश |
|
कंडहार |
नंदिनी |
नंदकेश्वर |
|
नूपुर |
इंद्राक्षी |
राक्षसेश्वर |
विराट |
पादान्नुलि |
अंबिका |
अमृत |
मगध |
दक्षिणजंघ |
सर्वानंदवारी |
व्योमकेश |