पीटर, संत जन्म का नाम 'सीमोन' था, और उपनाम 'बारयोना'। ईसा ने इनको केफा (चट्टान) का प्रतीकात्मक नाम दिया था जो बाद में यूनानी भाषा में अनूदित होकर 'पेत्रोस' बन गया (अंग्रेजी में पीटर)। वह गलीलिया के समुद्रतट के बैठसाइदा नगर में एक मछुवा था। ईसा ने उन्हें अपने १२ पट्टशिष्यों का प्रधान बनाया था और आश्वासन दिया था कि उनपर आधारित ईसाई गिरजा चिरस्थायी होगा।
ईसा के रूपांतरण, अंतिम ब्यारी तथा ईसा की प्राणपीड़ा जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर पीटर ईसा के साथ थे। ईसा की गिरफ्तारी के समय वह अपने गुरु की रक्षा में तलवार चलाना चाहते थे किंतु रात में वह अन्य शिष्यों के साथ भाग गए तथा प्रधान याजक के यहाँ उन्होंने तीन बार इसे अस्वीकार कर दिया कि वह ईसा के शिष्य थे। बाद में पीटर ने देखा कि ईसा मेरी ओर दृष्टिपात कर रहे हैं। इससे प्रभावित होकर वह प्रधान याजक के प्रांगण से निकलकर फूट फूट-कर रोने लगे। अपने पुनरुत्थान के बाद ईसा पहले अकेले में पीटर को दिखाई पड़े तथा बाद में दूसरे शिष्यों के सामने उनकी अपने सभी अनुयायियों का चरवाहा नियुक्त किया (दे. पोप)। बाइबिल के सेन्ट्स ऑव दि अपोसल्स नामक ग्रंथ से पता चलता है कि पीटर ने आरंभ से ही ईसाई चर्च के प्रसार में प्रमुख भाग लिया; ईसा के अर्वारोहण के दस दिन बाद पेतेकोस्त पर्व के अवसर पर उन्होंने इन शिष्यों से पहले ही विदेशों से आए हुए यहूदियों को उपदेश दिया; येरुसलेम में प्रथम ईसाई संसद् (४९ ई.) का सभापतित्व किया और अंतिओक, एशिया माइनर तथा रोम की यात्रा की। सन् ६७ ई. में वे रोम में शहीद बनकर स्वर्गवासी हुए। सन् १९५० ई. में रोम के संत पीटर की समाधि की जो खुदाई हुई थी, उससे यह परंपरागत विश्वास एक ऐतिहासिक तथ्य के रूप में परिणत हुआ।