पिसानो, निकीला (१२०५-१२७८) इटालियन मूर्तिकार तथा शिल्पी। वह यूरोप के पुनर्जागरणकाल (रिनेसाँ) का सर्वप्रथम महत्वपूर्ण कलाकार माना जाता है।

वह दक्षिण इटली के आपूलिया प्रांत का निवासी था। यहीं उसने मूर्तिकला तथा भवन-निर्माण-कला की प्रारंभिक शिक्षा पाई। उसने पूरी लगन तथा दृढ़ता के साथ कला की साधना की और धीरे-धीरे उसकी ख्याति दूर-दूर तक फैलने लगी। फ्रेड्रिक द्वितीय उसकी कला से बड़ा प्रभावित हुआ और अपने नए राजमहल (न्यू कासेल डेल ल वूवो) के निर्माण के लिए उसे नेपुल्स में आमंत्रित किया।

उसकी प्रारंभिक रचनाओं में लूस्सा के सैन मार्टिनों की एक दीवार के आर्च में खोदी गई मूर्ति 'क्राइस्ट का सूली से उतारा जाना' अत्यंत प्रभावशाली है। इसका रचनाकाल सन् १२३७ माना जाता है।

उसकी अन्य प्रभावशाली कृतियों में बोलोना के चर्च की सजावट, सियना के कैथीड्रल में बने मंच की खुदाई का काम तथा पेरूज़िया के कैयीड्रल के पश्चिमी भाग में निर्मित फाउंटेन इन दि पियाजा अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उसकी सर्वश्रेष्ठ कृति सन् १२६० में बनी पीसा की बैप्टिस्ट्री का संगमरमर का मंच है।

वह मूर्तिकार होने के साथ-साथ भवन-निर्माण-कला में भी दक्ष था। उसने अपने समय की कई प्रसिद्ध इमारतों की डिज़ाइन बनाई थी जिनमें स्टा मार्धरीता ए कोर्टोना का गिरजाघर तथा मठ, फ्लोरेंस का स्टा ट्रिनीता, पटुआ में संत अंतोनिओ का गिरजाघर महत्वपूर्ण हैं।

उसकी शैली का दूर-दूर तक तथा कई पीढ़ियों तक प्रभाव रहा जिससे यूरोप की भावी कला को बड़ी गति प्रदान हुई। ( रामचंद्र शुक्ल)