पिसानो, आंद्रिआ (१२७०-१३४८) इटली का मूर्तिकार। पहले सोनार का काम सीखा। उसके कलाशिल्प पर इटली के दूसरे समकालीन प्रसिद्ध मूर्तिकार जिओवान्नी पिसानो का कुछ हद तक प्रभाव रहा। फ्लोरेंस के बपतिस्मा भवन के तीन विश्वविख्यात कांस्य-द्वारों में सबसे प्राचीन द्वार, जो दक्षिण दिशा की ओर है, आंद्रिआ द्वारा ही निर्मित हुआ है। कई वर्ष तक वह इस पर श्रम करता रहा और अंतत: १३३६ में इसे वहाँ लगाया गया। इसमें चौकोर चौखटों में नीचे की ओर आठ गुणदेवियों (Virtues) की प्रतिमाएँ है और शेष में संत बपतिस्त के जीवनदृश्य आँके गए हैं।

जिओत्तो की मृत्यु के पश्चात् कंपेनाइल का वह प्रमुख वास्तुशिल्पी नियुक्त हुआ। यहाँ उसने जिओत्तो द्वारा निर्मित भवन के ऊपर दो और मंजिलों का निर्माण किया। संगमरमर पर बनी कितनी ही मूर्तियों, पत्थर पर उभरी नक्काशी और सूक्ष्म चित्रण में उसके कलाशिल्प का पैनी दृष्टि और गहरी पैठ का आभास मिला है। आंद्रिआ के दो पुत्र नीनो और टोमोसो भी बाद में प्रख्यात मूर्तिकार हुए। इसके अतिरिक्त ओरकाग्ना और बाल दुच्चो दि पिसा जैसे कलाकारों की वह एक पुष्ट शिष्यपरंपरा छोड़ गया जिन्होंने मिलान में सेंट हपूस्तोर्जिओ गिर्जाघर का निर्माण किया था।(शचीरानी गुर्टू)