पिप्पलाद स्कंद पुराण के अनुसार पिप्पलाद याज्ञवल्क्य ऋषि के संबंधी थे। श्रीमद्भागवत में वेदव्यास की शिष्यपरंपरा उल्लिखित है। वेदव्यास ने अथर्ववेद संहिता अपने शिष्य सुमंतु को दी। पिप्पलाद सुमंतु के शिष्यों में आते हैं। अथर्ववेद की एक शाखा ही पिप्पलाद के द्वारा प्रवर्तित है और उन्हीं के नाम पर उसका नाम पिप्पलाद शाखा पड़ा है। अथर्ववेद के एक उपनिषद् (प्रश्नोपनिषद्) में प्रारंभ में ही कथा आती है कि सुकेशा भारद्वाज आदि छह ऋषि मुनिवर पिप्पलाद के पास गए और उनसे दर्शन संबंधी प्रश्न पूछे जिनका उन्होंने पांडित्यपूर्ण उत्तर दिया। वे परम विद्वान् और ब्रह्मवर्चस्वी ऋषि थे। महाभारत के शांतिपर्व में भी यह उल्लेख मिलता है कि जब भीष्म शरशय्या पर पड़े हुए थे तो उनके पास पिप्पलाद उपस्थित थे।(रामचंद्र पांडेय)