पिट्सबर्ग स्थिति : ३७ २१ उ.अ. तथा ९४ ४३ प.दे.। यह संयुक्त राज्य, अमरीका के पेंसिलवेनिया राज्य में फिलाडेल्फिया से २५० मील पश्चिम में ऐलेगेनी और मोनॉनगाहीला नदियों के संगम पर, जो यहाँ मिलकर ओहायो नदी का निर्माण करती हैं, स्थित नगर है। यह राष्ट्र का बहुत ही प्रसिद्ध औद्योगिक तथा रेल और नदी यातायात का केंद्र है। पिट्सबर्ग पेंसिलवेनिया का दूसरा बड़ा नगर तथा संयुक्त राज्य, अमरीका का १२वाँ नगर है। इस नगर को इस्पात नगर या धुएँ का नगर कहा जाता है, क्योंकि संयुक्त राज्य, अमरीका के लौह इस्पात का एक बड़ा भाग यहाँ एवं समीपवर्ती औद्योगिक क्षेत्रों में निर्मित हाता है। यहाँ के निकटवर्ती क्षेत्र में विटूमिनस कोयला, प्राकृतिक गैस, तेल और चूना पत्थर पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। पिट्सबर्ग में कोकवर्ती कोयला, एल्यूमिनियम, टिन की चादरों, चमड़े की वस्तुओं, बिजली संयंत्रों, औद्योगिक यंत्रों, रेलयंत्रों, रसायनक तथा जलयानों आदि का निर्माण होता है। यहाँ तैल शोधनशाला तथा अणुशक्ति शोधशाला हैं। सुपिरियर झील के क्षेत्र से लौह खनिज की प्राप्ति होने के कारण इसकी औद्योगिक महत्ता बढ़ गई है। इस नगर का औसत वार्षिक ताप ११ सें. है। जनवरी का औसत तप - .५ सें. और जुलाई का २३ सें. है। वार्षिक वर्षा का औसत ३६ इंच है। यहाँ ४,५०० एकड़ में पार्क है। शेन्ली पार्क (४२२ एकड़) बहुत ही रमणीक तथा नगर के बीच में स्थित है। यहाँ के पिट्स स्टेडियम में ७०,००० लोग बैठ सकते हैं।

पिट्सबर्ग नगर का क्षेत्रफल ५४.३ वर्ग मील तथा मुख्य व्यपारिक क्षेत्र गोल्डेन ट्रैगिल का क्षेत्रफल १.५२ वर्ग मील है। इस ट्रैगिल में बहुत से होटल एवं कार्यालयों के भवन हैं। सबसे बड़ा होटल विलियम पेन है जिसमें १,६०० कमरे हैं। 'कैथेड्रेल ऑव लनिंग' विद्यालय की ४२ मंजिली इमारत तथा संयुक्त राज्य इस्पात भवन और मेलन बैंक की ४० मंजिली ईमारतें यहाँ हैं। नगर में कई हवाई अड्डे हैं जिनमें ऐलेगेनी काउंटी हवाई अड्डा सबसे बड़ा है। बृहत्तर पिट्सबर्ग हवाई अड्डे का प्रयोग केवल सैनिक कार्यों के लिए होता है। यहाँ पिट्सबर्ग एवं ड्यूक्वेस्न नामक दो विश्वविद्यालय, कारनेगी संस्थान, पुस्तकालय, संग्रहालय, संगीतभवन, कलाभवन, ग्रहघर (planetarium) तथा महिलाओं के लिए पेंसिलवेनिया महाविद्यालय है।

१९५० ई. में यहाँ एक टेलीविजन केंद्र तथा १६ अन्य प्रसारण केंद्र थे। यहाँ रोमन कैथोलिक एवं प्रोटेस्टैंट गिरजाघर हैं। प्राय: इन गिरजाघरों की वास्तुकला की शैली गोथिक ढंग की है। यहाँ बड़े पादरी का निवासस्थान है।(राजेंद्रप्रसाद सिंह)