पार्वती पर्वतराज हिमालय और मेना की कन्या जिन्होंने शिव जी को वरण करने के लिए कठिन तपस्या की थी और अंत में नारद के परामर्श से ये उनसे ब्याही गई। इन्हीं के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का वध किया था (दे. 'तारकासुर')। स्कं.पु. (५/१/३०) के अनुसार ये पहले कृष्णवर्ण थीं किंतु अनरकेश्वर तीर्थ में स्नान कर शिवलिंग की दीपदान करने से, बाद में गौर वर्ण की हो गई। पर्वतकन्या एवं पर्वतों की अधिष्ठातृ देवी होने के कारण इनका पार्वती नाम पड़ा। ये नृत्य के दो मुख्य भेदों में मृदु अथवा लास्य की आदिप्रवर्तिका मानी जाती है। काली, दुर्गा, तारा आदि इनके अनेक नाम तथा चरित्र हैं।