पाइथैगोरैस (Pythagoras) छठी शताब्दी ई.पू. के ग्रीक गणितज्ञ एवं दार्शनिक थे। ये सामोस के निवासी थे। थालेस के प्रोत्साहन से इन्होंने मिस्त्र में कई वर्षों तक विद्याध्ययन किया, तदुपरांत दक्षिणी इटली के क्रोटोन स्थान में इन्होंने प्रसिद्ध पाइथैगोरियन विद्यालय की स्थापना की, जो दर्शनशास्त्र, गणित एवं प्राकृतिक विज्ञान की शिक्षा देनेवाली संस्था ही नहीं, भ्रातृत्व भाव से संपन्न संघटन भी था। परंतु इनके गुप्त विचारों के कारण वहाँ के गणतंत्रीय दल के सदस्य इनपर संदेह करने लगे और इनको वहाँ से मार भगाया गया। पाइथैगोरेस भागकर मेटापोंटुम चले गए जहाँ इनकी हत्या कर दी गई।
पाइथैगोरेस ने यूल्किड की लगभग प्रथम दो पुस्तकें, छठी पुस्तक के कुछ भाग, चौथी पुस्तक की नींव डालनेवाली सम ठोसों की रचना और अपरिमेय राशियों का आविष्कार किया। इन्होंने सम्मेय राशियों के अनुपात के सिद्धांतों का भी खाका खींचा। इन्होंने ही ज्यामिति को उदार विज्ञान एवं गणित के एक भाग का रूप प्रदान किया। परिभाषाएँ और प्रमाण देने की पद्धति का इसमें प्रचलन किया और अंकगणित के साथ इसका संयोग आरंभ किया। पाइथैगोरेस विद्यालय के सदस्यों में अपने आविष्कारों को भी विद्यालय के जन्मदाता द्वारा आविष्कृत बताने की पद्धति थी। अत: इनके आविष्कारों का श्रेय संपूर्ण विद्यालय को ही देना उचित होगा।
सं.ग्रं.- टी.ए. हीथ : ए हिस्ट्री ऑव ग्रीक मैथेमैटिक्स, प्रथम खंड, १९२१।
(रामकुमार )