पहाड़सिंह बुंदेला बुंदेला राजा बीरसिंह देव का पुत्र था। मुगल सम्राट् शाहजहाँ के शासन में इसे उच्च मंसब प्राप्त हुआ। विद्रोही जुझारसिंह के आत्मसमर्पण से इसे अच्छी संपत्ति जागीर स्वरूप मिल गई। खानदेश पर आक्रमण के समय यह शायस्ता खाँ के सहायक के रूप में रहा। इसी समय इसे राजा की उपाधि मिली। दक्षिणी प्रांत के अध्यक्ष आजम खाँ के खानजहाँ लोदी पर आक्रमण के समय यह आजम खाँ के साथ था, और इसके बाद भी बहुत दिनों तक यह दक्षिण में ही बना रहा। दौलताबाद और परेंदा दुगों को इसने बड़ी कुशलता से लड़कर जीत लिया। चंपत बुंदेला के विद्रोह का दमन करने के पश्चात् इसने बदख्शाँ के आक्रमण में साहसी सेवक का परिचय दिया। कंधार विजय में यह औरंगजेब के साथ था। चौरागढ़ की जागीर पाकर इसने वहाँ के जमीदार अनूपसिह को पर्वती प्रदेश में शरण लेने पर विवश किया। सन् १६५४ ई. में इसकी मृत्यु हो गई।