पर्किन, विलियम हेनरी (ज्येष्ठ) (Perkin, W.H., senior) कोलतार के पदार्थों से प्रथम रंजक तैयार करनेवाले, लब्धप्रतिष्ठ रसायनज्ञ अंग्रेज थे। इनका जन्म लंदन में २२ मार्च, १८३८ ई. को हुआ था। सन् १८५३ में प्रो. होफमान (Hofmann) के निरीक्षण में इन्होंने रॉयल कॉलेज ऑव केमिस्ट्री में अध्ययन आरंभ किया। दूसरे वर्ष के अंत तक इन्होंने अपना शोध संबंधी प्रथम निबंध तैयार कर लिया, जो जर्नल ऑव केमिकल सोसाइटी (सन् १८५६) में छपा। कालेज में काम समाप्त कर यह अपनी निजी प्रयोगशाला में काम किया करते थे। इसी प्रयोगशाला में इन्होंने १८५६ ई. की ईस्टर छुट्टियों में माँव (mauve) रंजक की खेज की। रसायन की संश्लेषण विधियों से बना यह प्रथम कोलतार रंजक था। इस खोज ने रंजक रसायन में एक नई परंपरा की नींव डाली। १८५७ ई. में पकिंन ने इस रंजक को व्यापारिक मात्रा में तैयार करने के लिए एक कारखाना खोला, जिसमें इन्हें अच्छा आर्थिक लाभ हुआ। औद्योगिक आर्थिक सफलताओं के होते हुए भी पर्किन ने विशुद्ध रसायन के कार्य में सदा ही रुचि रखी। १८६७ ई. में इन्होंने ऐरोमैटिक ऐल्डिहाइड और ऐसीटिक ऐनहाइड्राइड के बीच में होनेवाली अभिक्रियाओं पर पहला लेख लिखा। आगे चलकर इस लेखमाला में अनेक निबंध प्रकाशित हुए। पर्किन अभिक्रिया नाम से जो अभिक्रिया असंतृप्त अम्लों के संश्लेषण के लिए प्रसिद्ध है, वह इसी शोधामाला का परिणाम है। १८६८ ई. में पर्किन ने कूमारिन (coumarin) के संश्लेषण की घोषणा की। यह कोलतार द्रव्यों से प्राप्त प्रथम संश्लेषित वानस्पतिक सुगंध थी। १८६९ ई. में पर्किन ने ऐंथ्राक्विनोन से अलिज़रिन रंग तैयार करने की विधि का पेटेंट लिया। १८७४ ई. में पर्किन ने व्यवसाय के कार्य से अवकाश ग्रहण कर लिया और चुंबकीय घूर्णन क्षमता पर कार्य प्रारंभ किया। १९०६ ई. में इन्हें नाइट की उपाधि मिली। १४ जुलाई १९०७ ई. को इनकी मृत्यु हो गई।

(सत्यप्रकाश )