परिगलन या नेक्रोसिस (ग़्ड्ढड़द्धदृद्मत्द्म) शरीर के किसी भाग में कोशिकाओं अथवा ऊतकों की मृत्यु होने को कहते हैं। नेक्रोसिस या ऊतकक्षय के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:

  1. रक्तप्रवाह का अवरोध - इससे अंग को भोजन नहीं प्राप्त होता, जिससे नेक्रोसिस हो जाता है।
  2. कीटाणुविष - ये विष रक्त द्वारा धमनियों में पहुँच कर अपने कुप्रभाव से क्षति पहुँचाते हैं, जिससे नेक्रोसिस हो जाता है।
  3. भौतिक या रामायनिक कारण - भौतिक कारणों में ४५रू सें. से ऊपर का ताप या भीषण शीत, हो सकता है। रासायनिक कारणों में कोशिकाओं या ऊतकों पर तीव्र अम्लों, तीव्र क्षारों, विद्युत् या एक्सकिरण की क्रियाएँ हो सकती हैं।

नेक्रोसिस में कोशिकाओं के केंद्रक या कोशिका द्रव्य में परिवर्तन होते हैं। या तो केंद्रक घुल जाता है, या विभाजित हो जाता है, या उसका संकुचन हो जाता है। नेक्रोसिस तीन प्रकार का होता है : एक घनीकरण, दूसरा द्रवीकरण और तीसरा कैजियस। पहले में कोशिकाएँ सूख जाती और अपारदर्शक हो जाती हैं। ऐसा वृक्क और प्लीहा में अधिकांशत देखा जाता है। द्रवीकरण नेक्रोसिस में कोशिकाएँ कोमल और दुर्बल हो जाती हैं और कैज़ियस नेक्रोसिस में कोशिकाओं का बृहत् चित्र नष्ट हो जाता है ओर स्थान स्थान पर चिपचिपे एवं रवेदार पदार्थ उत्पन्न हो जाते हैं। क्षय या उपदंश में ऐसा देखा जाता है।

(सत्य पाल गुप्त)