परभणी १. जिला, स्थिति : 18� 58� से 20� 2� उ.अ. तथा 76� 4� से 77� 42� पू.दे.। यह महाराष्ट्र राज्य का प्रमुख जिला है। इसके उत्तर में बुलडुना तथा अकोला, पूर्व एवं दक्षिण में नानदर, दक्षिण-पश्चिम में बीड़, एव पश्चिम में औरंगाबाद जिले हैं। इसका क्षेत्रफल ४,८५४ वर्ग मील तथा जनसंख्या १२,०६,२३६ (१९६१) थी। यहाँ बालाघाट तथा सह्याद्रि पर्वत फैले हुए हैं। पठार की ढाल दक्षिण की ओर है। पेनगंगा तथा गोदावरी प्रमुख नदियों के अतिरिक्त पूर्णा, दुदना आदि छोटी नदियाँ हैं। इनके अतिरिक्त अन्यान्य छोटी छाटी नदियों की संख्या बहुत अधिक है। यहाँ बबूल, खैर, नीम, आम, इमली, महुआ आदि के पेड़ मिलते हैं। फरवरी से मार्च तक का जलवायु शुष्क तथा स्वास्थ्यप्रद होता है। पठार का ताप ३७रू सें. तक रहता है तथा वर्षा ३४ इंच तक होती है। कृषि में ज्वार, गेहूँ, चना, बाजरा, कपास, सावाँ तिलहन, दलहन आदि पैदा होते हैं। उद्योग में कम उन्नति हुई है, केवल कुछ मोटा कपड़ा बनता है। बाहर जानेवाली वस्तुओं में अन्न (ज्वार, बाजरा आदि), कपास तिलहन, मिर्चा, पशु, भेड़ें, तंबाकू, हड्डियाँ तथा महुआ हैं। बाहर से आनेवली वस्तुओं में नमक, नमकीन मछली, सोना, चाँदी, ताँबा, पीतल, गंधक, बरतन, शक्कर, मिट्टी का तेल तथा रेशमी, सूती और ऊनी कपड़े प्रमुख हैं। व्यापार के मुख्य केंद्र मानवत, हिंगोली, परभणी, सोनेपत गंगाखेड आदि हैं।

२. नगर, स्थिति : 19� 16� उ.अ. तथा 79� 47� पू.दे.। इसी जिले में स्थित एक नगर है। यहाँ न्यायालय, डाकघर, अस्पताल, थाना आदि हैं। कपास तथा अनाज के व्यापार का यह प्रमुख केंद्र है। यहाँ पर कपास ओटने की कई मिलें हैं।(रमेशचंद्र दुबे)