पट्टीआरा (Band Saw) जिस प्रकार मशीनों को चलाने के लिये चालक पुली से चालित पुली पर चमड़े की पट्टी चढ़ाकर काम लिया जाता है, उसी प्रकार पट्टीआरा मशीन में समान व्यासवाली चालक और चालित पुली पर इस्पात की पट्टी चढ़ाकर, जिसके एक किनारे अथवा दोनों किनारों पर दाँत बने होते हैं, लकड़ी, लोहा आदि धातुओं, रबर, प्लास्टिक आदि पदार्थ, और यहाँ तक कि सूखा बरफ और मांस आदि, काटने का काम किया जाता है। भिन्न भिन्न पदार्थो को काटने के लिये आरे की पट्टी की चौड़ाई, मोटाई, प्रति इंच दाँतों की संख्या और उसके घूमने की गति भिन्न भिन्न होती है। कटाई की इस विधि का आविष्कार इन्लैंड में सर्वप्रथम विलियम न्यूबेरी ने सन् १८०८ में किया था। आरंभ में इस प्रकार के आरे का बताना बड़ा ही व्ययसाध्य कार्य था और काम भी बड़ी मंद गति से होता था। आजकल तो यह विशालोत्पादन (mass production) का एक साधारण सा उपकरण समझा जाता है। इन मशीनों पर इंच से लेकर इंच तक चौड़ी आरी की पट्टी चढ़ाकर, विविध पदार्थों के तख्तों को अनेक प्रकार की टेढ़ी मेढ़ी आकृतियों में काटा जा सकत है। इसकी मेज को यांत्रिक विधि से तिरछा कर, तिरछे किनारे भी काटे जा सकते हैं और उनके साथ उचित प्रकार की गाइडें और स्वचल प्रयुक्तियाँ लगाकर, काटे जानेवाले सामान को आगे पीछे स्वत: भी चलाया जा सकता है, जिससे यंत्र संचालक का काम सरल हो जाता है। जिन पट्टीआरों के दोनों किनारों पर दाँत होते हैं, सामान को आगे सरकते और पीछे लौटते समय दोनों ओर से काट सकते हैं, जिससे समय की काफी बचत हो जाती है।
मशीनों के प्रकार - ये मशीनें खड़ी और आड़ी दो प्रकार की होती हैं और उनकी आरी की चाल और दांतों के रुख के अनुसार दक्षिणावर्त और वामावर्त आदि भेद भी हो जाते हैं (देखें चित्र १.)। साधारण मशीनों की चालक और चालित पुलियों का व्यास १२ इंच से ३६ इंच तक होता है। पेड़ के तने चीरने की मशीनों के व्यास से ३६ इंच तक होता है। पेड़ के तने चीरने की मशीनों के व्यास १२ फुट तक होते हैं, जिनपर १६फ़ फ़ चैड़ाई तक का पट्टीआरा चढ़ाया जाता है।
चित्र १.
पट्टीआरों की धातु - लोहा, इस्पात और अलौहिक धातुएँ चीरने के पट्टीआरे टंग्स्टन अथवा क्रोमयुक्त इस्पात के बनाए जाते हैं, जिनमें कार्बन की मात्रा ०.६५ से ०.८०ऽ तक रहती है। इनके कठोरीकरण का ताप ८१०रू सें. से ८३०रू सें. तक रखा जाता है। पेड़ों के भारी तरे ओर बड़े तख्ते चीरने के लिये आरे और फर्नीचर के काम की नाजुक आरियाँ निकलयुक्त इस्पात की बनाई जाती हैं, जिनमें कार्बन की मात्रा लगभग ०.७५ऽ होती है। उनके संधान का ताप ८५० से ९५०रू सें. और कठोरीकरण ताप ८००रू सें. से ८३०रू सें. तक रखा जाता है।
आरों की चौड़ाई और मोटाई |
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उपयोग |
आरी की चौड़ाई इंचों में |
मोटाई स्टब्ज़ गेज और इंचों में |
तने और तख्ते चीरने के लिए |
३फ़ फ़ से १६फ़ फ़ |
२० से १२ गेज |
फर्नीचर बनाने के लिए |
से |
२२ से १९ गेज |
ताँबा आदि अलौहिक धातुएँ काटने के लिए |
से २फ़ फ़ |
२० से १९ गेज |
१२फ़ फ़ से १६फ़ फ़ व्यास के चक्के पर |
से ३फ़ फ़ |
से |
१८फ़ फ़ से २६फ़ फ़ व्यास के चक्के पर |
से ३फ़ फ़ |
से |
२८फ़ फ़ से २६फ़ फ़ व्यास के चक्के पर |
से ३फ़ फ़ |
से |
पट्टीआरा बनानेवाले अकसर १००, २५० और ५०० फुट लंबी आरे की पट्टी बनाया करते हैं और प्रयोगकर्ता पूरे थान में से आवश्यक लंबाई के टुकड़े काटकर, लैपयुक्त फंदेवाला जोड़ बनाकर, उसके दोनों छोरों को चाँदी के टाँके से झालकर काम में लाते है।
दाँतों की आकृति और नाप - चित्र २ (क) में आरे के प्रति इंच दाँतों की संख्या जानने का तरीका बताया है। इनकी गिनती बिंदु और दाँतों के अंतर (द्रत्द्यड़ण्) दोनों ही प्रकार से होती है। आकृति (ख) में दाँतों की विभिन्न रूपरेखाएँ दिखाई गई हैं। आकृति (ग) में दाँतों का अटकाव (ण्दृदृत्त्) नापने का तरीका दिखाया है, जिसके अनुसार ५फ़ फ़ चौड़े पट्टे में २फ़ फ़ का हुक है। आरों के दाँते पट्टे के समतल में नहीं रखे जाते, उन्हें दाएँ और बाएँ झुका देने से वे अच्छा काटते हैं। अत: आकृति (घ) में एकांतर, अर्थात सरल, सेटिंग दिखाया गया है, जिसमें एक दाँत दाहिनी और दूसरा बाईं ओर को झुकाने का क्रम है। आकृति (च) में त्रयांतर, अर्थात रेकर, सेटिंग
चित्र २.
पट्टीआरे से कटाई की सारणी |
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पदार्थ |
पदार्थ की चौड़ाई |
पदार्थ की चौड़ाई |
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से१फ़ फ़ |
१फ़ फ़ से २फ़ फ़ |
२फ़ फ़ से ऊपर |
से१फ़ फ़ |
१फ़ फ़ से २फ़ फ़ |
२फ़ फ़ से ऊपर |
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दांतों की संख्या प्रति इंच |
आरे की रफ्तार फुट प्रति मिनट |
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कार्बन इस्पात |
१४ |
१० |
६ |
१७५ |
१५० |
१२५ |
निकल-क्रोम इस्पात |
१४ |
१० |
६ |
१०० |
८५ |
६० |
मॉलिब्डेनम इस्पात |
१४ |
१० |
६ |
१२५ |
१०० |
७५ |
टंग्स्टन इस्पात |
१४ |
१० |
८ |
१०० |
७५ |
५० |
टंग्स्टन इस्पात |
१४ |
१० |
८ |
८५ |
६० |
५० |
हाईस्पीड इस्पात |
१४ |
१० |
८ |
१०० |
७५ |
५० |
स्टेनलेस इस्पात |
१२ |
१० |
८ |
६० |
५० |
४० |
ढलवाँ इस्पात |
१४ |
१२ |
८ |
१५० |
७५ |
५० |
ढलवाँ लोहा |
१२ |
१० |
८ |
२०० |
१८५ |
१६० |
ऐल्यूमिनियम |
८ |
६ |
६ |
२५० |
२५० |
२५० |
ताँबा |
१० |
८ |
६ |
२५० |
२२५ |
२२५ |
जस्ता |
८ |
६ |
६ |
२५० |
२२५ |
२०० |
प्लास्टिक |
१२ |
८ |
८ |
२५० |
२५० |
२५० |
लकड़ी (कठोर) |
६ |
४ |
३ |
४६०० |
४००० |
३००० |
लकड़ी (मुलायम) |
६ |
४ |
३ से २ |
४२०० |
३७०० |
३४०० |
लकड़ी प्लाई |
६ |
४ |
३ से २ |
४४०० |
४१०० |
४००० से ३७० |
मेसोनाइट |
६ |
४ |
३ |
२००० |
१५०० |
१२०० से १०० |
दिखाया गया है, जिसमें एक दाँत दाहिनी ओर तथा दूसरा बाई ओर झुकाकर तीसरे को सीधा रखने का क्रम है। रेकर सेटिंग का उपयोग अक्सर सख्त पीतल, काँसा, कार्बनयुक्त औजारी इस्पात, ढलवालोहा, हाई स्पीड इस्पात की चादरें आदि काटने में ही होता है। लकड़ी और अन्य मुलायम पदार्थ काटने के लिये एकांतर सरल सेटिंग का ही प्रयोग किया जाता है।
विभिन्न काम के लिये पट्टीआरों में प्रति इंच दाँतों की संख्या और आरे के चलने की गति उपरिलिखित सारणी में दी गई है।(ओंकारनाथ शर्मा)