न्यूहैंपशिर स्थिति : ४२ ४० उ. अ. से ४५ १८ उ. अ. तथा ७० ३७ प. दे. से ७२ ३७ प. दे.। यह संयुक्त राज्य, अमरीका के न्यूइंग्लैंड राज्यों के समूहों में से एक राज्य है। इसका नामकरण कैप्टन जॉन मेसन ने १६२९ ई. में अपने इंग्लैंड स्थित होम काउंटी (Home County) के नाम पर किया था। इसके दक्षिण में मासाचुसेट्स, पश्चिम में बरमांट, उत्तर-पश्चिम तथा उत्तर में क्वीबेक, पूर्व में मेन तथा ऐटलैंटिक महासागर इसकी सीमाएँ निर्धारित करते हैं।

समुद्री किनारों तथा निचली घाटियों के अतिरिक्त समस्त राज्य पहाड़ी एवं आसमान है। यहाँ की सर्वोच्च पहाड़ियाँ ४७,००० से ६७,००० तक ऊँची हैं। वाशिंगटन तथा लिंकन पहाड़ियों की ऊँचाई क्रमश: ६,२८८ तथा ५,००० से भी अधिक है। यहाँ की प्रमुख नदियों में कनेक्टिकट (Connecticut), मेरिमैक, (Merrimack) पिसकैटाक्वॉ (Piscataqua), साको (Saco), तथा ऐंड्रसकॉगिन (Androscoggin) हैं। संपूर्ण राज्य हिमनदी तथा १,३०० झीलों से युक्त है। सर्वप्रमुख झील विनिपेसॉकी (Winnipesaukee) पूर्व तथा मध्य भाग में स्थित है। इस झील में लगभग २७४ द्वीप हैं। इसकी तटरेखा ऐटलैंटिक के समानांतर मासाचुसेट्स तथा पिसकैटाक्वॉ नदियों के मुहाने के मध्य १८ मील तक फैली है।

राज्य के धरातल निर्माण में प्लीस्टोसीन युग (Plesitocene Age) की हिमचादरों (Ice sheet) का प्रमुख स्थान है। इन्होंने अपने विनाशकाल में छोटी छोटी नदियों तथा नालों के मुहानों पर चट्टानों के अवशेष अधिक मात्रा में जमाकर उनके प्रवाह को अवरुद्ध कर दिया जिसके कारण अनेक झीलों का निर्माण हुआ।

उच्च पहाड़ों एवं सागर की समीपता के कारण इसकी जलवायु न्यूइंग्लैंड के उत्तरी भागों से भिन्न है। ग्रीष्मकाल लघु तथा अपेक्षाकृत ठंढा रहता है। जुलाई का औसत ताप २० सें. से २१ सें. तक रहता है। तटीय भागों के उत्तरी भाग का ताप १५ सें. तक रहता है। जाड़े की ऋतु दीर्घ तथा ठंढी होती है। जनवरी में दक्षिण का ताप -९ सें. से लेकर -४ सें. तक रहता है तथा उत्तर में -१३ सें. से लेकर -९ सें. तक।

मेन राज्य के पश्चात् यह दूसरा सबसे घना जंगली क्षेत्र है। इसका करीब ८४ प्रतिशत भूभाग वनों से ढका है। दक्षिणी भाग में सफेद चीड़ तथा कड़ी लकड़ियों के जंगल हैं। उत्तर में प्रधानत: कड़ी लकड़ियों में पीला भोजवृक्ष, मैपिल तथा बीच हैं। जंगलों की अधिकांश लकड़ियों से कागज की लुगदी बनाई जाती है। जानवरों में हरिण, लोमड़ी, चूहे, गिलहरी आदि पाए जाते हैं। नदियों तथा झीलों में मछलियाँ बहुतायत से पाई जाती हैं।

कृषिकार्य तटीय क्षेत्रों तथा नदियों की घाटियोंवाले भूभाग पर अधिक सफलता से संपन्न होता है। इन क्षेत्रों की मिट्टी अधिक उपजाऊ तथा गहरी है। पर्वतों पर, जहाँ की मिट्टी अनुपजाऊ तथा पतली है, पशुपालन का कार्य किया जाता है। द्वितीय महायुद्धोपरांत मुर्गी पालन भी आय का साधन बन गया है।

१९वीं शताब्दी के अंतिम चरण से सूती वस्त्रव्यवसाय तथा चमड़े के कार्य आर्थिक स्रोत के प्रधान साधन हैं। उद्योगों में चमड़ा, बुनकर उद्योग, लुगदी बनाना, बिजली का सामान, कागज, लकड़ी की कटाई, तथा उससे संबंधित अन्य धंधे उन्नतिशील हैं।

यहाँ प्राकृतिक साधनों का उपयोग बहुत मंद गति से तथा काफी देर में आरंभ हुआ। १९३० ई. में २,१२,००० कि. वाट विद्युत् का उत्पादन था। २५ वर्षों के पश्चात् इसका योग २,५९,००० कि. वाट तक पहुँच गया। जलविद्युतशक्ति के क्षेत्र में यह राज्य बहुत धनी है। परंतु अभी राज्य की अधिकांश कंपनियाँ कोयले से ही विद्युत् का उत्पादन करती हैं। (बसंतसिंह )