न्यूटन, आइज़क (Newton, Isaac, सन् १६४२-१७२७) विश्व के महान् गणितज्ञ का जन्म लिंकनशिर के वूल्स्थ्राॉप नामक स्थान में हुआ। प्रारंभिक शिक्षा ग्रामीण पाठशाला और ग्रैंथैम के पब्लिक स्कूल में समाप्त करके इन्होंने ट्रिनिटी कालेज, कैंब्रिज, में बैरो और वालिस के गणित का भली भाँति अध्ययन किया। वालिस उन वक्रों के क्षेत्रकलन का, जिनके कोटि अंक ( १ - य) का कोई भी पूर्णांक अथवा धनात्मक घात हों, अन्य वक्रों के क्षेत्रफल से अंतर्वेंशन करने में असमर्थ थे, परंतु न्यूटन ने इस कार्य को पूर्ण कर दिखाया। इस कार्य के लिए इन्होंने द्विपद प्रमेय और प्रवाहन - कलन - पद्धति का अविष्कार किया। इनका वर्णन १६६९ ई. में लिखित इनकी पुस्तिका 'दे अनालिज़ी पेर एक्वास्योनिस नुमेरो तर्मिनोरुम इन्फिनीतास' (De Analysi per Acquationes Numero Terminorum Infinitas)' में हैं, जो ४२ वर्ष पश्चात् प्रकाशित हुई।

सन् १६६९ में आप ट्रिनिटी कॉलेज में गणित के प्रोफेसर नियुक्त हुए। दो वर्ष बाद आप रॉयल सोसाइटी के सदस्य चुने गए। सन् १६८९ और १६९० के लिए आप युनिवर्सिटी की ओर से पार्लिमेंट के सदस्य भी चुने गए। सन् १६९५ में आप 'वार्डन ऑव मिंट' नियुक्त किए गए और चार वर्ष पश्चात् 'मास्टर ऑव मिंट' नियुक्त किए गए और चार वर्ष पश्चात् 'मास्टर ऑव मिंट' बना दिए गए। सन् १७०१ में आप पुन: पार्लिमेंट के सदस्य चुने गए। सन् १७०३ में आप रॉयल सोसायटी के प्रेसिडेंट चुने गए और लगातार २५ वर्ष तक इस पद के लिए चुने जाते रहे। सन् १७०५ में आपको 'नाइट' की उपाधि प्रदान की गई।

सन् १६७१ में इन्होंने 'मेथड ऑव फ्लक्शन्स' (Method of Fluxions) नामक पुस्तिका लिखी, जो सन् १७३६ में प्रकाशित हुई। इसमें पारिभाषित और प्रयुक्त 'मोमेंट्स' वस्तुत: लाइब्निट्ज़ के अवकल गुणक हैं। इसके अतिरिक्त न्यूटन की प्रसिद्ध पुस्तकें प्रिंसिपिया (Principia), ऐरिथमैटिका युनिवर्सालिस (Arithmatica Universalis), एनुमेरास्यो लिनिएआरुम तर्तिइ ऑर्देनिस (Enumeratio Linearum Terti Ordenis), हैं। इनमें से प्रथम पुस्तक में 'गुरत्वाकर्षण का नियम', द्वितीय में 'समीकरण सिद्धांत के नवीन एवं महत्वपूर्ण फल' और तृतीय में 'वक्रों के सिद्धांत' पर प्रमेय दिए गए हैं।

आपका गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत सार्वभौम रूप से समस्त गतिविज्ञान के क्षेत्र पर अनिवार्यत: लागू होता है। प्रकाश के संबंध में भी आपने अनेक नवीन तथ्यों का पता लगाया। प्रयोग द्वारा आपने पहली बार यह सिद्ध किया कि श्वेत प्रकाश वास्तव में इंद्रधनुष के रंगोंवाली प्रकाश किरणों से बना है। आपने ही पहली बार परावर्तक दूरबीन का निर्माण किया तथा प्रकाश की प्रकृति के बारे में कार्पस्क्यूलर (corpuscular) सिद्धांत का प्रतिपादन किया।

सं. ग्रं. - सर डेविड ब्रियुस्टर : मेमॉयर्स ऑव दि लाइफ, राइटिंग्ज़ ऐंड डिस्कवरीज़ ऑव सर आइज़क न्यूटन, १८५५।(रामकुमार , अंबिका प्रसाद सक्सेना)