न्यूजीलैंड
स्थिति : ३०� से
५३� द. अ. तथा
१६२� पू. दे. से
१७३� पू. दे.। यह
आस्ट्रेलिया महाद्वीप
से दक्षिण-पूर्व
में १,२०० मील की दूरी
पर दक्षिणी प्रशांत
महासागर में
विख्यात द्वीपसमूह
हैं। सैन फ्रैंसिस्को
से इसकी दूरी
दक्षिण-पश्चिम दिशा
में ६,३०० मील है। इसका
क्षेत्रफल १,०३,७३६ वर्ग
मील तथा जनसंख्या
२४,७३,९८९ (१९६२) थी। यह ब्रिटिश
राष्ट्रमंडल का
सदस्य है।
द्वीपसमूह - इसमें दो द्वीप बड़े (१) उत्तरी द्वीप (क्षेत्रफल ४४,२८१ वर्ग मील) तथा (२) दक्षिणी द्वीप (क्षेत्रफल ५८ ०९३ वर्ग मील) तथा अन्य दो छोटे द्वीप स्ट्यूअर्ट (Stewart) द्वीप (६७० वर्ग मील) तथा चैतेम (Chatham) द्वीप (३७२ वर्ग मील) सम्मिलित हैं। इसकी अधिकतम लंबाई १,१०० मील तथा अधिकतम चौड़ाई २१० मील है। न्यूजीलैंड में कोई भी क्षेत्र समुद्र से ६० मील से अधिक दूर नहीं है। इसका समुद्री तट ३,००० मील लंबा है। इसकी भौगोलिक सीमाओं के अंतर्गत अन्य सात जनविहीन द्वीप आते हैं, जिनका पूरा क्षेत्रफल ३०७ वर्ग मील है। इन सातों द्वीपों के नाम ऑकलैंड द्वीप (Auckland), कैंपबेल (Campbell) द्वीप, ऐंटीपोडीज (Antipodes), द्वीप थ्नी किंग्स द्वीप, स्नेयर्स (Snares) द्वीप, बाउंटी (Bounty) द्वीप तथा सोलेंडर (Solander) द्वीप हैं। इनके अतिरिक्त न्यूज़ीलैंड की राजनीतिक सीमा में कुछ अन्य द्वीप भी हैं, जिनका क्षेत्रफल २१२ वर्ग मील है।
भूरचना
- यह द्वीपसमूह
पर्वतीय है। समुद्री
किनारे अत्यंत
खड़ी ढालवाले
हैं, जिनकें पीछे
पर्वतीय शृंखलाएँ
हैं। उत्तरी द्वीप
में सक्रिय ज्वालामुखी
पर्वत तथा गर्म
जल के अनेक सोते
हैं। दक्षिणी द्वीप
में दक्षिणी आल्प
श्रेणी है, जिसमें
न्यूज़ीलैंड का सर्वोच्च
शिखर माउंट कुक
(१२,३४९ फुट) है। दक्षिण-पश्चिम
में रमणीक फ़ियॉर्ड्स
(fiords)
हैं। दोनों द्वीपों
के पूर्वी तट पर
सबसे चौड़े मैदान
हैं, जिनमें यहाँ
के प्रसिद्ध नगर
स्थित हैं। सबसे
लंबी नदी वैकटो
(Waikato)
तथा सबसे बड़ी
झील टौपो
(Taupo)
उत्तरी द्वीप में
है। इसके अतिरिक्त
तीव्र गति से बहनेवाली
अनेक गहरी नदियाँ
हैं, जिनमें क्लथा
(Clutha),
वैरोआ (Wairoa),
तैयेरी (Taieri),
वैनकारिरी
(Wain Kariri)
तथा रैंगीटाटा
(Rangitata)
प्रमुख हैं। झीलों
में टिएनाऊ (TeAnau),
वाकाटिपु (Wakatipu)
तथा वानाका
(Wanaka)
विख्यात हैं। दक्षिणी
द्वीप में भी पूर्वी
ढालों पर एक
झील स्थित है। ऐसा
अनुमान है कि
इन झीलों का निर्माण
हिमानीकरण
(glaciation)
से हुआ है। यह
देश अपने प्राकृतिक
दृश्यों की विविधता
तथा मनमोहकता
के लिए प्रसिद्ध है।
जलवायु - यहाँ की जलवायु में यद्यपि पर्याप्त विभिन्नता है, फिर भी पूरे न्यूजीलैंड की जलवायु को समुद्री कहा जा सकता है। पूरे देश में ताप उग्र नहीं है। गर्मी में समुद्री पवनों से पूरा देश शीतल रहता है और जाड़े में वे ही समुद्री पवन देश को शीत की भीषणता से सुरक्षित रखते हैं। प्राय: पूरे वर्ष भर पछुआ हवाएँ बहती रहती हैं। हिमपात मैदानों में नहीं होता, किंतु पर्वतश्रेणियों के शिखर वर्ष भर हिमाच्छादित रहते हैं। दक्षिणी गोलार्ध में स्थित होने के कारण इसके उत्तरी भाग सबसे अधिक उष्ण हैं। दक्षिणी भागों में जलवायु की विषमता सर्वाधिक है। औसत वार्षिक ताप १४.४� सें. तक रहता है। वर्षा सभी द्वीपों में होती है, किंतु पश्चिमी किनारों पर, पूर्वी तटों की अपेक्षा अधिक वर्षा होती है। पश्चिमी तट पर कहीं कहीं वार्षिक वर्षा १६०� तक होती है, जबकि पूर्वी किनारे पर कहीं कहीं केवल २५� � वार्षिक वर्षा होती है।
प्राकृतिक साधन - न्यूजीलैंड का सबसे बड़ा प्राकृतिक साधन यहाँ की उपजाऊ मिट्टी है। घाटियों, पहाड़ी ढालों तथा मैदानों में विशाल चरागाह तथा उर्वर खेत हैं। पूरे देश में कोई रेगिस्तान नहीं है, किंतु पश्चिमी तटीय पर्वतश्रेणियों के कारण देश के १/६ भाग में उर्वरता नहीं है। पहले यहाँ धने जंगल थे, किंतु यहाँ कौरी वृक्षों से जहाजों के मस्तूल इतनी अधिक संख्या में बनाए गए कि जंगल समाप्त हो चले। प्राकृतिक वनस्पतियों में कौरी (Kauri), चीड़, बड़े बड़े फर्न (Fern) वृक्ष तथा अन्य आल्प्सीय वृक्ष पाए जाते हैं। यहाँ के मूल जंतुओं में किवी पक्षी (Kiwi), जंगली तोते, एलवाट्रॉस (Albatross, एक समुद्री पक्षी) टूआटारा (Tuatara, एक बड़े प्रकार का सरीसृप), पाए जाते हैं। न्यूजीलैंड में साँप बिलकुल नहीं है। यहाँ के ९० प्रतिशत मूल निवासी उत्तरी द्वीप के गर्म सोतोंवाले क्षेत्रों में रहते हैं। मूल निवासियों में माओरी प्रमुख हैं।
राष्ट्रीय
उद्यान - न्यूज़ीलैंड
के विशाल क्षेत्रों
में राष्ट्रीय उद्यान
या पार्क बनाए
गए हैं जिनमें टोंगारिरो
(Tongariro),
टैज़मेन (Tasman)
और फ़ियोर्डलैंड
पार्क अपनी सुंदरता
के लिए प्रसिद्ध हैं।
शक्ति के साधन एवं खनिज पदार्थ - ऐसा विश्वास है कि न्यूजीलैंड के पर्वतों में अगाध खनिज धन है लेकिन अभी तक उनकी खोज नहीं की जा सकी है। स्वर्ण क्षेत्रों का पता लगाया जा रहा है, जिनके विषय में अनुसंधान हो रहे हैं। दक्षिणी द्वीप के पश्चिमी तट पर सोना प्राप्त होता है। न्यूजीलैंड के अनेक क्षेत्रों में एं्थ्रोसाइट की उत्तम श्रेणी से लेकर लिगनाइट की निम्न श्रेणी तक के कोयले की खानें हैं। ग्रेमाउथ जिला कोयले में सर्वाधिक धनी क्षेत्र है। दक्षिणी द्वीप में यूरेनियम युक्त चट्टानें भी मिलती हैं। इसके अलावा यहाँ सोने के साथ कुछ चाँदी भी मिलती है। पेट्रोल एवं प्राकृतिक गैस का भी पता चला है। तीव्र गति से प्रवाहित होनेवाली पहाड़ी नदियाँ अपने में जलविद्युच्छक्ति के लिए महान् संभावनाएँ संजोए हुए हैं। यहाँ की सरकार ने स्थान स्थान पर जलविद्युत् योजनाओं को सफल बनाया है, जिससे देश को शक्ति के अभाव का सामना नहीं करना पड़ता।
निवासी एवं उद्यम - यहाँ जनसंख्या का घनत्व १८.५ व्यक्ति प्रति वर्ग मील है। यहाँ के मूल निवासी माओरी (Maori) हैं। जिनकी कुल संख्या अनुमानत: १,००,००० होगी। श्वेतांगों के आने के पूर्व ये ही लोग यहाँ रहते थे। शेष लोग प्राय: अंग्रेज हैं। यहाँ एशियावासियों के निवास के लिए अनेक प्रतिबंध हैं। माओरी जाति के लोग हवाई, सैमोया जैसे पश्चिमी प्रशांत महासागरीय द्वीपों में निवास करते हैं। ये प्रसन्नचित्त, विनम्र स्वस्थ और आकर्षक व्यक्तित्व के लोग हैं। गोरों तथा इन मूलनिवासियों में अंतर्जातीय विवाह तीव्रता से हो रहे हैं। यहाँ के मुख्य उद्यम पशुपालन तथा दुग्ध उद्योग हैं। पूर्वी मैदानों तथा दक्षिणी द्वीप की पर्वतीय ढालों पर भेड़ पालने का उद्योग विकसित है। विशेष प्रकार की भेड़ों से मांस और ऊन अधिक मिलता है, जिसे न्यूज़ीलैंड निर्यात करता है। दुग्ध उद्योग उत्तरी द्वीप में अधिक विकसित हुआ है जिसके कारण दक्षिणी द्वीप की काफी जनसंख्या उत्तरी द्वीप में आकर बस गई है। ग्रेट ब्रिटेन में प्रयुक्त आधा मक्खन न्यूज़ीलैंड से ही आता है।
कृषि - जौ यहाँ की मुख्य उपज है। केंद्रीय ओटागो क्षेत्र में सेब के बगीचे अधिक हैं। गेहूँ और धान भी यहाँ अधिक होते हैं। शहद के लिए मधुमक्खियाँ पाली जाती हैं। यहाँ की दक्षिणी आल्प्स और कैकौरा श्रेणी के बीच नेल्सन की घाटी में उत्पन्न सेब विशेष प्रसिद्ध हैं।
यहाँ की घास इतनी अच्छी जाति की होती है कि प्रत्येक वर्ष काफी मात्रा में इसके बीज का निर्यात किया जाता है। कोरी गोंद भी यहाँ की मुख्य उपज है।
उद्योग - न्यूज़ीलैंड में बड़े बड़े उद्योग नहीं है, इसलिए यह कच्चे माल का निर्यात करता है। फर्नीचर तथा लकड़ी के सुंदर सामानों का निर्माण करनेवाले छोटे छोटे कारखाने हैं तथा आटा पीसने और शराब बनाने के मुख्य उद्योग अनेक स्थानों पर विकसित हैं ईटें, बिजली के सामान, ऊनी वस्त्रों तथा जूतों के कारखाने भी यहाँ हैं। देश के लिए एवं निर्यात के लिए पावरोटी और बिस्कुट का यहाँ उत्पादन किया जाता है। यहाँ पर जलविद्युतशक्ति प्रचुर मात्रा में हैं, इसलिए उद्योगों के विकास पर सरकार जोर दे रही है।
प्रशासनिक विभाजन - इस देश के नौं प्रांतीय क्षेत्र हैं : (१) ऑकलैंड, (२) हॉक्स बे, (३) टारानाकी, (४) बेलिंगटन, (५) नेल्सन, (६) वैस्टलैंड, (७) मार्लबरी, (८) कैंटरबरी तथा (९) ओटागो। इन्हीं क्षेत्रों के आधार पर यहाँ की जनसंख्या की गणना होती है। वेलिंगटन, ऑकलैंड, क्राइस्टचर्च, आदि प्रसिद्ध नगर हैं।
शिक्षा - यहाँ पर शिक्षा की अधिक उन्नति हुई है। यहाँ कई विश्वविद्यालय हैं। १८७७ ई. में यहाँ के स्कूलों को राष्ट्रीय प्रणाली से संबद्ध किया गया। ७ से १४ वर्ष तक की आयु वाले बच्चों को नि:शुल्क, अनिवार्य तथा सार्वभौम शिक्षा दी जाती है। माओरी बच्चों की शिक्षा के लिए पूर्ण सुविधाएँ प्राप्त हैं। सभी बड़े नगरों में पुस्तकालय, संग्रहालय, कलाभवन, विद्यालय एवं कालेज हैं। (कृ.मो.गु.)
जाति, भाषा और धर्म - अधिकतर निवासी अंग्रेज हैं। कुछ संख्या में चीनी, भारतीय, डच, यूगोस्लावी, ग्रीक और पोलिश लोग रहते हैं। यूरोपियनों के आने के पूर्व यहाँ पोलेनेशियाई माओरी जाति अपनी विशेष संस्कृति और सामाजिक व्यवस्था के साथ वास करती थी। बाद में माओरियों का ्ह्रास होने लगा। वे केवल श्रमिक और भूमिहीन जीविका अर्जित करनेवाले रह गए। कुछ माओरियों ने अपने हितों की रक्षा के लिए संगठन बनाए और आंदोलन भी किए। अब उनकी स्थिति पुन: कुछ सुधरी है और न्यूज़ीलैंड के सामाजिक तथा राजनीतिक जीवन में उनका अच्छा स्थान है।
अंग्रेजी यहाँ की प्रधान भाषा है। माओरी का भी प्रचलन है। वह स्कूलों में पढ़ाई जाती है। न्यूज़ीलैंड के निवासी चर्च ऑव इंग्लैंड (३६%), प्रेस्बिटीरियन चर्च (२२%), रोमन कैथोलिक चर्च (१४%) और मेथोडिस्ट चर्च ७% में बँटे हुए हैं।
इतिहास
- १६४२ ई. में डच
ईस्ट इंडिया कंपनी
का अबेल तस्मान
नामक एक नाविक
न्यूज़ीलैंड के दक्षिणी
द्वीप पर पहुँचा।
न्यूज़ीलैंड का पता
लगानेवाला
यह पहला यूरोपियन
था। इसके पूर्व
वहाँ पोलेनेशियाई
माओरी जाति
रहती थी, लेकिन
उसका कोई प्रामाणिक
इतिहास उपलब्ध
नहीं होता। १४वीं
शताब्दी के मध्य
में प्रशांत महासागर
के अन्य द्वीपों से
आकर न्यूज़ीलैंड
में बसे, ऐसा अनुमान
प्राय: किया जाता
है। ब्रिटिश रायल
नेवी के कप्तान
जेम्स कुक ने १७६९, १७७३,
१७७४ और १७७७ में न्यूज़ीलैंड
की चार यात्राएँ
कीं। १८वीं शती के
अंत में समुद्री
तटों पर यूरोपियनों
की बस्तियाँ दूर
दूर तक फैल
गईं। १८४० में ब्रिटेन
ने वहाँ अपने निवासियों
को बसाना आरंभ
किया और इस
प्रकार अंग्रेजों
द्वारा न्यूजीलैंड
का उपनिवेशीकरण
आरंभ हुआ और
वेलिंग्टन (१८४०), नेल्सन
(१८४२), डुनेडिन (१८४८) तथा
कैंटरबरी (१८५०)
शहर क्रमश: बसते
गए। १८४० में ही कैप्टेन
विलियम हाब्सन
न्यूज़ीलैंड पहुँचा।
उसके साथ माओरी
नेताओं ने संधि
की जो ट्रीटी
ऑव वैटांगी
(Treaty of Waitangi)
के नाम से प्रसिद्ध
है। उसके अनुसार
माओरियों
ने न्यूज़ीलैंड पर
रानी विक्टोरिया
की प्रभुता स्वीकार
कर ली। आगे चलकर
भूमि संबंधी
राजकीय नीति
से माओरियों
से असंतोष फैला,
जिससे १८६० और
१८७० के बीच में बड़ी
अशांति रही। किंतु
उसके बाद न्यूज़ीलैंड
उपनिवेश जन और
धन में संपन्नता
की ओर तेजी
से बढ़ा। १८६१ में सोने
की खानों की
खोज ने अनेक बाहरी
लोगों को आकर्षित
किया। १८८२ तक न्यूजीलैंड
दूध और मांस
के उत्पादन में बहुत
आगे हो गया।
प्रथम और द्वितीय
दोनों विश्वयुद्धों
में न्यूज़ीलैंड की
सेनाएँ ब्रिटेन
की ओर से लड़ीं।
१८५२ में ब्रिटेन ने
देश की अनेक जनप्रतिनिधि
संस्थाओं को मान्यता
दी। १९४७ में न्यूज़ीलैंड
ने ब्रिटिश राष्ट्रमंडल
की सदस्यता के
साथ स्वायत्त शासन
का अधिकार प्राप्त
किया।
अर्थव्यवस्था - न्यूज़ीलैंड की अर्थव्यवस्था के मुख्य आधार पशुपालन और कृषि हैं। पिछले कुछ वर्षों से भारी उद्योगों की स्थापना की ओर विशेष ध्यान दिया गया है। प्लास्टिक, टेक्स्टाइल, जूते और कागज जैसे लघु उद्योगों में भी प्रगति हुई है। कच्चे माल के अयात और औद्योगिक निर्माण में संतुलन के लिए न्यूज़ीलैंड को ब्रिटेन का बड़ा सहारा है।
आर्थिक सुदृढ़ता, जीवनस्तर की उच्चता और मूल्यनियंत्रण आदि की सिफारिशों के लिए १९६१ में मॉनेटरी ऐंड एकानामिक कौंसिल की स्थापना हुई। उद्योगविस्तार और उत्पादन तथा मुद्रा में संतुलन की देखरेख भी इस कौंसिल का काम है। कृषिउत्पादन तथा व्यापर में सरकार साझेदारी करती है।(कृष्णमोहन गुप्त)