नैनीताल
१. जिला, स्थिति : २८रू
५१फ़ से २९रू ३७फ़ उ.अ. तथा ७८रू
४३फ़ से ८०रू ५फ़ पू.दे.।
यह उत्तर प्रदेश
के उत्तरी पर्वतीय
क्षेत्र में कुमायूँ
मंडल में प्रसिद्ध
पहाड़ी जिला है।
इसका क्षेत्रफल २,६३५
वर्ग मील तथा
जनसंख्या ५,७४,३२० (१९६१) थी।
इसके उत्तर में केंद्रीय
शिवालिक पर्वतीय
श्रेणियाँ हैं तथा
पूर्व में नेपाल
की सीमा से शारदा
नदी इसे अलग करती
है। दक्षिण में भाभर
क्षेत्र है जिसमें
घने जंगल हैं।
भाभर क्षेत्र के
आगे तराई है,
जहाँ की जलवायु
अस्वास्थ्यकर है। यहाँ
तिलहन, धान, गेहूँ,
चना, ज्वार, बाजरा,
जौ तथा गन्ने
की खेती की जाती
है। गन्ने के उत्पादन
में इस जिले का
स्थान प्रमुख है।
इस जिले के मुख्य
नगर नैनीताल,
काशीपुर और
हलद्वानी हैं।
२.
नगर, स्थिति : २९रू
२३फ़ उ.ट. तथा ६९रू ३०फ़ पू.दे.।
यह नगर मंडल
तथा जिले का
मुख्यालय है। यह
सैनिक दृष्टि से
भी महत्वपूर्ण
है। छावनी क्षेत्र
को मिलाकर
यहाँ की जनसंख्या
१६,०८० (१९६१) थी। यह नग ६,४००फ़
की उँचाई पर
बसा है। इस नगर
को १८४१ ई. में बसाय
गया था। अँगरेजी
शासनकाल में
यहाँ उत्तर प्रदेश
सरकार की ग्रीष्मकालीन
राजधानी रहती
थी। यहाँ सेंट
जौसेफ कालेज
हैं। यहाँ पर एक
४,७०३फ़ लंबी
और १,५१८फ़ चौड़ी
आयताकार सुंदर
नैनीताल झील
है। इसी ताल के
नाम पर इस नगर
का भी नाम पड़ा
है। इसके ताल के
नाम पर इस नगर
का भी नाम पड़ा
है। इसके दक्षिणी
भाग में गंधक
युक्त जल के सेते
मिलते हैं। एक मील
उत्तर-पश्चिम में
जिले का सबसे
उच्च स्थान चायना
चोटी (८५६५फ़ ) है जिसका
नाम जवाहर चोटी
रखा गया है यहाँ
लोग सूर्यादय
एवं सूर्यास्त के
दृश्य देखने आते
हैं। सन् १८९० में पूना
में जो 'इंपीरियल
वेटेरिनरी
रिसर्च इंस्टिट्यूट'
स्थापित की गई
थी उसे तीन वर्ष
बाद नैनीताल
से १३ मील उत्तर-पश्चिम
में मुक्तेश्वर नामक
स्थान पर स्थापित
किया गया। ग्रीष्मकाल
में ऋतु परिवत्रन
और स्वास्थ्यलाभ
के लिए धनी लोग
यहाँ निवास करने
आया करते हैं,
जिससे नगर में
ग्रीष्म ऋतु में बड़ी
चहल पहल रहती
है।