नेरुद, यान (Neruda Yan) १८३४-१८९१ चेक भाषा के प्रमुख पत्रकार, निबंधकार, कवि और आलोचक। उनकी रचनाएँ आज तक, पठित और मान्य है। एक शती पूर्व लिखी गयी 'खगोल संबंधी कविताएँ' आजकल के आविष्कारों के युग में विशेष मूल्यवान् और दुर्लभ हैं। नेरुद प्राहा (Prague) राजधानी की साधारण जनता के निकटतम संपर्क में रहे। इसलिए उनकी कहानियों में (अल्प नगर की कहानियाँ) समाजिक और लोक जीवन का चित्रण मिलता है। नेरुद की 'माता के प्रति' और अनेक राष्ट्रीय कविताएँ प्रसिद्ध हैं। 'आगे बढ़ो' नामक कविता विशेषकर लोक प्रिय है। अन्य संग्रह: 'शुक्रवार के गीत' (कविताएँ), 'साधारण गीत' (कविताएं), गाथाएं और प्रेम कथाएं।

अन्य कृतियाँ : फ.ल. वेक (उपन्यास), हमारे यहाँ (उपन्यास) दर्शन इतिहास (कहानियाँ), लालटेन (नाटक), यन जिनका (नाटक) यन हुस (नाटक) आदि।

(ओडीलेन स्केकल)