नेदीम अठारहवीं शताब्दी का एक प्रसिद्ध तुर्की कवि। इसका मूल नाम 'अहमद' था, और उपनाम 'नेदीम'। वह कुस्तुंतुनिया, जिसे अब इस्तांबुल कहते हैं में पैदा हुआ था। यहीं उसने शिक्षा प्राप्त की। शिक्षा प्राप्ति के बाद इसने अध्यापन का कार्य ग्रहण किया और नगर के प्रतिष्ठित शिक्षा संस्थानों में अध्यापन किया। जीवन के अंतिम दिनों में इसके पोषक सदरेआजम इब्राहीम पाश ने इसको अने द्वारा स्थापित पुस्तकालय का प्रबंधक नियुक्त किया था।
नेदीम को शेरोशायरी से बचपन से ही लगाव था; लेकिन प्रसिद्धि इसे प्राप्त हुई तुर्की के उस्मानी सुलतान अहमद सोयम (१७०३-१७३०) के राज्यकाल में। अब वह प्राचीन शैली के कवियों में सबसे ऊँचा तुर्की कवि माना जाता है।
इसका दीवान, कसीदा, गजल और गीत से युक्त है और इसकी रचनाओं में वर्णनात्मकता के स्थान पर आत्मनिष्ठ रोमानी दिखाई देती है, जो दूसरे तुर्की कवियों में सामान्यतयी नहीं पायी जाती। इसने अपने गजलों और गीतों में अपने जमाने की आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है और अनेक अछूते विषयों, अर्थोद्घाटक शैली और सुपरिचित शब्दों द्वारा वह अपने पूर्ववर्तियों और प्रभावकों से बढ़ गया है। इसके युग में तुर्क कवि अरबी फारसी छंदों का ही प्रयोग किया करते थे। तुर्की की प्राचीन लोकप्रिय बहर हिजाई (हिजाई नामक छंद) का प्रयोग दोष माना जाता था। लेकिन नेदीम ने इस छंद का भी प्रयोग एक गीत में किया है और वह गीत आज लोकप्रिय है। इस गीत का वजन ४अ ५ है।
सं.ग्रं. - एस. लेनपूल : तुर्की; ई.जे. डब्लू.; ए हिस्ट्री ऑव ओटोमन पोयेट्री।
(अमजद अली)