नीदरलैंड्स स्थिति : ३ २२ से ७ १३ पू. दे. तथा ५० ४६ से ५३ ३३ पू. दे.। यह यूरोप के उत्तर-पश्चिम में समुद्र के किनारे स्थित स्थित देश है। इसे हॉलैंड भी कहते हैं, किंतु इसका राष्ट्रीय नाम नीदरलैंड्स है। इसका अधिकांश क्षेत्र समुद्रतल से भी नीचे हैं, जिसके कारण इसका नामकरण हुआ है। इसकी भौगोलिक महत्ता के कारण इसकी जनसंख्या घनी है। इसके पूर्व में पश्चिमी, जर्मनी, दक्षिण में बेल्जियम, पश्चिम और उत्तर में उत्तरी सागर हैं। इसका क्षेत्रफल ३३,५९१ वर्ग किमि. है। इस देश की सर्वाधिक लंबाई ३०४ किमि. (उत्तर-दक्षिण) तथा अधिकतम चौड़ाई २५६ किमी. (दक्षिणपश्चिम से उत्तर-पूर्व) है। इसकी जनसंख्या १,१७,२१,४१६ (१९६१) थी।

बनवाट - इस देश के क्षेत्रफल में तटीय कटाव के कारण कमी तथा प्रवाह प्रणाली के घुमाव और बाँध द्वारा इसमें वृद्धि होती रहती है। यूरोपीय महाद्वीप के अन्य किसी भी देश के इतने निवासी अपने देश के क्षेत्र निर्माण में नहीं लगे हैं जितने कि नीदरलैंड्स में।

इस देश की स्थलीय आकृतियाँ तथा समुद्री सीमाएँ मुख्यतया मास, राइन और स्खेल्डै नदियों के डेल्टा से प्रभावित होती हैं। डेल्टा का निर्माण प्रत्यक्ष रूप से इन नदियों के ज्वारीय क्षेत्र में गिरने से होता है। इससे ऊँचा उठा हुआ भाग समाप्त हो जाता है और पतले तथा लंबे गड्ढों का निर्माण होता है, जो नदियों की वेगवती धाराओं द्वारा लाए गए अवसादों से भर जाते हैं। इस तरह डेल्टा क्षेत्र का विस्तार हुआ है।

इस देश की सर्वाधिक ऊँचाई सुदूर दक्षिण पूर्व कोने में नीदरलैंड्स जर्मनी तथा बेल्जियम के मिलनबिंदु पर (३२२ मीटर) है। यहाँ बहुत ही कम क्षेत्र की ऊँचाई समुद्रतल से ४६ मीटर अधिक है। ३५ प्रति शत से भी अधिक भूमिभाग तो ऐम्सटरडैम के स्तर से भी एक मीटर कम ऊँचा है।

जलवायु - यह देश न तो आक्षांशों में और न ऊँचाई में ही ऊँचा है, इसलिए जलवायु लगभग सभी जगह एक समान है। जनवरी सबसे ठंडा महीना है। यहाँ का न्यूनतम ताप यूट्रेख्ट (Utrecht) नगर में २१ सें. है। इस नगर का औसत वार्षिक ताप १.२ है। इसके पूर्व का अधिकांश हिम से ढका रहता है। नीदरलैंड्स में दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ वर्ष के नौ महीने चलती हैं, इनसे जाड़े का ताप थोड़ा सा बढ़ जाता है, लेकिन अप्रैल से जून तक पश्चिमी हवाएँ चलती हैं, जो ग्रीष्म ऋतु को थोड़ा सा नम कर देती हैं। वायु की दिशा के कारण देश का पश्चिमी भाग पूर्वी भाग की अपेक्षा नम है। देश के मध्य की औसत वार्षिक वर्षा २७ है।

वर्षा के दिनों की संख्या २०० से कुछ अधिक है लेकिन इस काल में सापेक्षिक आर्द्रता बहुत अधिक (८० प्रति शत) रहती है। इससे धुंध तथा समुद्री तुषार प्राय: पड़ते हैं, जिनका हानिकारक प्रभाव फ्राइसलैंड और ज़ीलैंड पर पड़ता है तथा यहाँ फेफड़े संबंधी बीमारियाँ अधिक होती हैं।

प्राकृतिक वनस्पति - इस घने बसे देश में जंगल अल्प मात्रा में हैं। यहाँ की वनस्पति को चार भागों में बाँटा जा सकता है : १. झाड़ीवाली वनस्पति, २. चरागाह, ३. बालू के टीले की वनस्पति और ४. तटीय वनस्पति। झाड़ियाँ देश की पूर्वी बालुका प्रदेश में पाई जाती हैं। बालू के टीलों पर वनस्पतियाँ अपनी ही जाति की दूसरी जगह की वनस्पतियों से छोटी तथा पतली होती हैं। यहाँ का मुख्य पौधा डच ऐल्म (Dutch elm) या चिकना नरकट है, जो बालुकाकणों का आपस में बाँधे रखने के लिए प्रति वर्ष उगाया जाता है। इससे चटाइयाँ बनाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त बलूत, देवदार, चीड़, लिंडन, सफेदा आदि वनस्पतियाँ एवं फूलों में डच ट्यूलिप अत्यंत प्रसिद्ध हैं। समुद्र तट पर कुछ पौधों का उपयोग कीचड़वाले भाग को सुखाने तथा निक्षेप को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

पशु - जंगलों की कमी के कारण जंगली जानवर कम पाए जाते हैं। पूर्वी शुष्क जंगली क्षेत्र में हरिण तथा लोमड़ी पर्याप्त संख्या में पाई जाती है। ऊदविलाव तथा रीछ भी कहीं कहीं मिलते हैं। एरेमिन नेवला तथा ध्रुवीय तथा बिल्लियाँ (Pole Cats) प्राय: सभी जगह पाई जाती हैं। यहाँ विभिन्न प्रकार की चिड़ियाँ भी मिलती हैं। जंगली मुर्गा, वाज, नीलकंठ, मैगपाई, कौवा, उल्लू, कबूतर, लावा, चील तथा बुलबुल यहाँ के मुख्य पक्षी हैं। पालतू जानवरों में गाय, बैल, सुअर, घोड़े, भेड़ें, मुर्गियाँ आदि मुख्य हैं।

कृषि- सन् १९६० में कुल कृषिक्षेत्र २३,१७,२३२ हेक्टेयर था। यहीं की मुख्य फसलें गेहूँ, राई, जई, आलू, चुकंदर, जौ इत्यादि हैं। निर्यात के लिए डेफोडिल्स तथा ट्युलिप (एक प्रकार के सुंदर फूल) अधिक उगाए जाते हैं।

विद्युत्, गैस एवं खनिज - कोयला, पेट्रोल तथा नमक यहाँ के मुख्य खनिज हैं। कोयले की खानें लिंबर्ग प्रदेश में है। यहाँ विद्युच्छक्ति काफी पैदा की जाती है। १९५० ई. में कुल बनाई हुई गैस २७,५९० लाख युनिट थी जो सन् १९६० में ४२,१६० लाख युनिट हो गई। यहाँ प्राकृतिक गैस का उत्पादन (१९६० ई.) ७,८६० यूनिट था।

उद्योग धंधे - यहाँ के उद्योगों में धातु, वस्त्र और भोज्य सामग्री का निर्माण, खनन, रसायन और सिलाई उद्योग मुख्य हैं। इनके अतिरिक्त शीशा, चूना मिट्टी एवं पत्थर की वस्तुएँ बनाने, हीरा जैसे कीमती पत्थरों को काटने तथा पालिश करने, कार्क तथा लकड़ी की विभिन्न वस्तुएँ बनाने, चमड़े और रबर की वस्तुएँ तैयार करने तथा कागज बनाने की उद्योग होते हैं। इन उद्योगों में सन् १९६० में १०,५३,१०० व्यक्ति लगे हुए थे।

व्यापार- व्यापार की वृद्धि के लिए नीदरलैंड्स, बेल्जियम और लक्सेमबर्ग ने बैनीलक्स संघ की स्थापना की है जिसके अनुसार एक दूसरे देश के आयात-निर्यात व्यापार पर कर नहीं देना पड़ता। नीदरलैंड्स से व्यापार करनेवाले देश मुख्यत: इंग्लैंड, संयुक्त राज्य अमरीका, पश्चिम जर्मनी, बेल्जियम, लक्सेमबर्ग, फ्रांस तथा स्वीडन हैं। व्यापार में ऐग्सटग्डैम प्रमुख तथा रोटरडैम एवं हेग द्वितीय स्थान रखते हैं।

यातायात- यहाँ यातायात का बहुत विस्तार हुआ है। सन् १९६० में कुल समुद्री जहाजों की संख्या १,७३४ तथा इनकी क्षमता ४,६०६ हजार टन थी। नौगम्य नदियों एवं नहरों की कुल लंबाई ६,७६८ किमी. है जिसमें से १,७१० किमी. तक १०० या इससे अधिक मीट्रिक टन की क्षमतावाले जहाज जा सकते हैं। रेल मार्गों में भी काफी उन्नति हुई है।

संपूर्ण रेलों की व्यवस्था दि नीदरलैंड्स रेलवेज (एन. वी.) नामक एक संयुक्त कंपनी द्वारा होती है। सन् १९६० में रेलमार्गों की कुल लंबाई ३,२५३ किमि. थी, जिनमें से १,६२४ किमि. विद्युत से चलनेवाली रेलगाड़ियाँ थीं। १ जनवरी, सन् १९५८ को मुख्य सड़कों की लंबाई ४,५२८ किमी. थी। इन पर चलनेवाली सभी प्रकार की मोटर गाड़ियां की संख्या १ अगस्त, १९६० को लगभग ३६,००० थी। ७ अक्टूबर, सन् १९१९ को रायल डच एयरलाइंस (के. एल. एम.) की स्थापना हुई। रोटरडैम, ऐम्सटरडैम, हेग प्रसिद्ध हवाई अड्डे हैं।

जनसंख्या एवं नगर- नीदरलैड्स की कुल जनसंख्या १,१७,२१,४१६ (१९६१) थी। जनसंख्या का घनत्व ३४४ व्यक्ति वर्ग किमी. था। एक लाख से अधिक जनसंख्यावाले नगर ऐम्सटरडैम, आर्नहेम, ब्रेडा, आईयोवेन, एन्सखेडे, ग्रोनिंगेन, हारलेम, हिलवरसम, निजमैगन, रोटरडैम, टिलवर्ग यूट्रेख्ट, दि हेग हैं।

यहाँ धर्म संबंधी पूरी स्वतंत्रता है। शाही परिवार डच रिफॉर्म्ड चर्च से संबंध रखता है। इसके अतिरिक्त प्रोटेस्टैंट, ओल्ड कैथोलिक, रोमन कैथोलिक तथा यहूदी मुख्य अन्य धर्म हैं।

सन् १९६०-६१ में यहाँ ११ विश्वविद्यालय थे। विश्वविद्यालयीय केंद्र लाइडेन, यूट्रेरूट, ग्रोनिंगेन, निजमैगन, ऐम्सटरडैम, आइयोवेन रोटरडैम तथा टिलवर्ग हैं। ऐम्सटरडैम में दो विश्वविद्यालय हैं। इस देश में सन् १९६१ में ५६५ सिनेमागृह थे। (रा.प्र.सिं.)

जाति, भाषा और धर्म : नीदरलैंड के मूल निवासी डच हैं। फ्रांकिश (Frankish), सेक्सन (saxon) और फ्रीज़न (Frisian) जैसे अलग अलग वंशों के होते हुए भी वे परस्पर भिन्न नहीं दिखाई देते। हाल में इंडोनेशिया से आए लोग, जो प्राय: यूरेशियन हैं, अवश्य सबसे भिन्न मालूम पड़ते हैं। कुछ रक्त मिश्रण के कारण भी पहले जैसे एकरूपता अब डचों में नहीं रह गई है।

डच यहाँ की प्रधान और रामकाज की भाषा है। (दे. 'डच भाषा') फ्रीसलैंड (Friesland) में फ्रीजन का प्रचलन है। यह एंगलो-सैक्सन भाषा के निकट पड़ती है, किंतु अनेक रूपों में यह डच से भी मिलती जुलती है। नीदरलैंड के निवासी फ्रांसीसी, अंग्रेजी और जर्मन भी जानते हैं। ये भाषाएँ वहाँ के स्कूलों में पढ़ाई जाती हैं।

४३ प्रति शत निवासी प्रोटेस्टेंट और ३८ प्रति शत रोमन कैथोलिक धर्मावलंबी हैं। १७ प्रति शत असांप्रदायिक हैं और शेष २ प्रति शत विभिन्न मतों के अनुयायी हैं। प्रोटेस्टेंटों में अधिकतर लोग कैल्विनिस्ट चर्च को मानते हैं। लूथरवादियों की संख्या १ प्रति शत से अधिक कभी नहीं रही।

इतिहास- राइन (Rhine) और म्यूज (Meuse) नदियों के मुहानों के इलाके जूलियस सीजनर ने ५५ ई. पू. में जीत लिए। उस समय वहाँ केल्टिक (Celtic) और जर्मेनिक (Germanic) जातियाँ रहती थीं। राइन डेल्टा के उत्तर में बटावी (Batavi) और फ्रीजन मुख्य जातियाँ थीं।

आठवीं और नवीं शताब्दियों में वेस्ट फ्रैंकों ने सैक्सनों और फ्रीज़नों का पूरी तौर से दमन कर दिया। साथ ही फ्रांकिश भाषा भी जर्मैनिकों पर छा गईं। किंतु नवीं शताब्दी में ही अनेक स्थानीय प्रभाव के व्यक्तियों ने उभड़ कर राज्य को छिन्न भिन्न कर दिया। १३वीं शताब्दी में कांउट फ्लोरिस पंचम के शासन में हालैंड बहुत शक्तिशाली हो गया, और उसकी सीमाएँ भी दूर दूर तक फैल गईं। १५वीं शताब्दी में बर्गडी के ड्यूक शक्तिशाली हो गए। १५४७ में स्पेन के राजा चार्ल्स पंचम ने नीदरलैंड और आस्ट्रिया के संघ का आदेश जारी किया और १५४९ में स्पेन में नीदरलैंड भी सम्मिलित कर लिया गया।

चार्ल्स पंचम का पुत्र फिलिप द्वितीय स्पेन के शक्तिविस्तार में लगा रहा। उसने निचले प्रदेशों पर अपना सीधा स्वामित्व स्थापित करने के लिए वहाँ की राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक स्वतंत्रता का दमन किया। फलस्वरूप रोम कैथोलिकों और प्रोटेस्टेंटों ने विद्रोह कर दिया। यह विद्रोह व्यापक रूप से १० वर्षों तक चला। १५७७ में प्रदेश का बड़ा भाग फिलिप द्वितीय की दमन नीति से मुक्त हो गया और विलियम उसका शासक बना। किंतु उत्तरी और दक्षिणी प्रांतों की एकता कायम न रह सकी। १५७८ में दक्षिणी प्रांत (वर्तमान वेल्जियम) विलियम के विरुद्ध हो गया। १५७९ में सात उत्तरी प्रांतों का यूट्रेक्ट संघ (Union of Utrecht) बना, जिसमें हालैंड का स्थान महत्वपूर्ण था।

१७वीं शताब्दी में यह संघ संसार में व्यापार और सागरीय शक्ति से सर्वाधिक संपन्न था। ईस्टइंडीज, भारत, दक्षिण अफ्रीका और वेस्टइंडीज आदि उसके उपनिवेश थे। डच प्राय: उदार थे, अतएव उन्होंने स्पेनी, पुर्तगाली, यहूदी, अंग्रेज और फ्रांसीसी यात्रियों को शरण दी जिनके पारस्परिक योग से कला, साहित्य, विज्ञान और दर्शन की प्रचुर उन्नति हुई। फ्रांस के आक्रमण को विफल करने के लिए नीदरलैंड की डच शक्तियों ने कई यूरोपीय देशों का संघ भी गठित किया। विलियम तृतीय की मृत्यु के पश्चात् डच गणराज्य एक शताब्दी तक चलता रहा। इसके बाद आंतरिक विद्रोह, गृह-कलह, १७वीं और १८वीं शताब्दियों में इंग्लैंड से युद्धों के कारण नीदरलैंड की शक्ति अत्यंत क्षीण हो गई। १७९५ में फ्रांसीसी सेनाओं ने शक्तिहीन गणराज्य का बुरी तरह रौंद दिया।

१८१४-१५ की विएना कांग्रेस में कई शक्तियों की संमति से नीदरलैंड राज्य ने एक नया रूप धारण किया जिसमें प्राचीन संयुक्तप्रदेश, स्पेनी और आस्ट्रियायी भाग सम्मिलित थे। विलियम प्रथम उसका सम्राट् घोषित हुआ। १८३० में दक्षिण भाग के विद्रोह हो गया, जिसका परिणाम बेल्जियम के जन्म के रूप में हुआ। बाद नीदरलैंड के शेष भाग के आंतरिक मामलों, उद्योगीकरण आदि पर अधिक ध्यान दिया गया। बेल्जियम से पारस्परिक संबंधों में प्रगति हुई। विलियम तृतीय की मृत्यु (१८९०) के पश्चात् लक्समबर्ग पर की प्रभुता का दावा समाप्त हो गया।

प्रथम विश्वयुद्ध के समय नीदरलैंड तटस्थ राष्ट्र था, किंतु १९४० में जर्मनी द्वारा आक्रांत होने के कारण इसे तटस्थता की नीति छोड़नी पड़ी। रानी विल्हेल्मिना (Queen Wilhelmina) अपने अन्य सरकारी अधिकारियों के साथ इंग्लैंड चली गई। युद्ध में डच ठहर नहीं सके और उन्हे भारी क्षति उठानी पड़ी। नीदरलैंड की बहुत संपत्ति जर्मनी ने लूट ली। १९४५ में मित्र राष्ट्रों (Allied Powers) ने उसे जर्मंनी के संकट से मुक्त कराया। १९४८ में विल्हेल्मिना की पुत्री जुलियाना सिंहासनारूढ़ हुई।

ईस्टइंडीज का बड़ा भाग जो कि ३०० वर्षों से डचों के अधिकार में था, १९४२ में जापानियों ने जीत लिया। १९४५ में इंडोनेशिया ने स्वतंत्रता का नारा बुलंद किया। चार वर्षों के आंदोलन तथा संयुक्तराष्ट्र के हस्तक्षेप के पश्चात् नीदलैंड ने इंडोनेशिया को दिसंबर १९४९ में स्वतंत्र कर दिया। पश्चिम न्यूगिनी के प्रशासन के प्रश्न पर डचों की संपत्ति इंडोनेशिया में ज़ब्त हो गई। १९६२ में नीदरलैंड ने ल्यूगिनी को भी मुक्त किया, १९६३ में राष्ट्रसंघ ने न्यूगिनी का प्रशासन इंडोनेशिया को सौंप दिया।

अर्थनीति- युद्ध के बाद नीदरलैंड की सरकार ने उद्योगीकरण पर अपना ध्यान अधिक केंद्रित किया है। व्यक्तिगत उद्योगों के विकास के लिए समुचित वातावरण तैयार किया जा रहा है। आंतरिक अर्थव्यवस्था के संतुलन में सरकार ने उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है। १९४५ के पश्चात् सरकारी ऋणदान को सुलभ करने की नीति पर आचरण किया गया।

मुद्रास्फीति से बचने के लिए पारिश्रमिकों की अतिशय वृद्धि को पूरी तौर से रोक दिया गया। रहन सहन के स्तर को ऊँचा करने के लिए कृषि में भी नियोजन पद्धति अपनाई गई है।

प्राकृतिक साधनों की कम के कारण नीदरलैंड बाहर से कच्चा माल मँगाकर उनसे विभिन्न प्रकार के समान तैयार करता है, और उनका निर्यात करता है। टेक्सटाइल, धातुकार्मिक (Metallurgical), काष्ठकला, तैल शोधन, आदि यहाँ के मुख्य उद्योग हैं। कृषिगत उत्पादन के एक तिहाई भाग का निर्यात होता है।

सारी अर्थव्यवस्था प्राय: अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर आधारित है। इसीलिए अन्य देशों की आर्थिक अवस्थाएँ नीदरलैंड को न्यूनाधिक प्रभावित करती हैं। इस समय मुद्रास्फीति, श्रम शक्ति की न्यूनता तथा कुछ उद्योगों में असंतुलन नीदरलैंड की मुख्य समस्याएँ हैं।