निरंकुश राजनीति में निरंकुश राजतंत्र उसे कहा जाता है जिसका संविधान उसे प्रतिबंधबद्ध अथवा प्रारक्षणबद्ध न करता हो और जिसमें शासक या राज्यकर्ताओं को प्राकृतिक, नैतिक अथवा वैध सब प्रकार के नियमों से मुक्त निरंकुश अधिकार प्राप्त हों। निरंकुश राज्य की प्रभुसत्ता साम्राज्य, धर्मसंस्था अथवा अभिजात वर्ग द्वारा सीमित नहीं होती। धर्मनिरपेक्षता, धर्मसंस्थाओं से भी ऊपर सर्वोच्च अधिकार, पूर्वप्रचलित रिवाजों, विशेषाधिकारों अथवा अधिकारक्षेत्रों को रखने बदलने की पूर्ण सामर्थ्य, और किसी लोककथित प्राकृतिक नियम को भी मानने में अबाध्यता इस निरंकुशता के मुख्य लक्षण होते हैं।(राममूर्ति लूंबा)