नियोग मनुस्मृति में पति द्वारा संतान उत्पन्न न होने पर ऐसी व्यवस्था है जिसके अनुसार स्त्री अपने देवर अथवा सगोती से गर्भाधान करा सकती है। वह व्यक्ति स्त्री के पति की इच्छा से केवल एक ही और विशेष परिस्थिति में दो संतान उत्पन्न कर सकता है। इसके विपरीत आचरण प्रायश्चित्त के भागी होते हैं। कलियुग में यह विधि वर्जित है।(श्याम तिवारी)