नियर, फान डेर (१६०३-१६७७) डच कलाकार। एम्स्टर्डेम में उत्पन्न हुआ। प्रारंभ से ही उसे अपने पैरों पर खड़ा होना पड़ा, फलत: बाहर एक उच्चाधिकारी के यहाँ उसने नौकरी कर ली। पर वहाँ उसका मन न लगा और कुछ समय बाद वह पुन: एम्स्टर्डैम लौट आया। विवाह के पश्चात् छह संतानों के बड़े परिवार के कारण उसे अनेक आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। जिंदगी से लगातार लड़ाई और कशमकश करते हुए उसे एक शराब की दुकान खोलने के लिए भी बाध्य होना पड़ा; लेकिन बाद में उसका दु:खद परिणाम हुआ। तत्पश्चात् चित्रकारी और कलासाधना ही उसका ध्येय बन गया। शीतकाल के कतिपय सजीव दृश्यों का चित्रण करने के अतिरिक्त नहरों, नदी-निर्झरों और प्राकृतिक दृश्यचित्र - जिनमें अधिकतर उषाकालीन अथवा संध्या समय के बनते मिटते मोहक नजारे तथा चाँदनी रातों की शुभ्र ज्योत्स्ना का प्रसार और संमोहन है- उसने बड़ी की तन्मयता से आंके हैं। इस दिशा में कोई भी समकालिक कलाकार उसकी तुलना में नहीं ठहर सकता था। छाया प्रकाश का धूमिल आलोक और जल में झिलमिलाती सूर्य अथवा चंद्रमा की स्निग्ध, धवल रश्मियाँ या नदी किनारे पर किसी आकाशचुंबित भव्य भवन के झरोखे और खिड़कियों का झिलमिल झिलमिल प्रतिबिंब-इन सब दृश्यांकनों में वह बड़ी ही सुकुमार, कोमल कल्पना साकार करने में सफल हो जाता था। उसके शिष्यों में उसके पुत्रों ने भी उससे दीक्षा ली और उसकी प्रेरणा से कला-सर्जन की ओर वे प्रवृत्त हुए।(शचीरानी गूर्टू)