निजामुल्मुल्क निजामुद्दौला आसफजाह निजामुल्मुल्क आसफजाह का चौथा पुत्र। इसका वास्तविक नाम मीर निज़ाम अली था। खाँ तथा असदजंग बहादुर की उपाधियाँ प्राप्त कीं। सन् १७५५ ई. में यह बरार का सूबेदार नियुक्त हुआ। इसने रघुजी भोंसला के पुत्र जानोजी को कई बार हराया। सन् १७५९ ई. में जब बालाजीराव ने अहमदनगर दुर्ग पर अधिकार कर लिया, तो इसने बालाजीराव पर आक्रमण कर दिया, किंतु अंत में इसे संधि करनी पड़ी। इसके अंनतर बाजीराव के भाई रघुनाथ राव से भी इसने संधि की। बालाजी राव की मृत्यु पर उसके भाई रघुनाथ राव और पुत्र माधोराव में वैमनस्य उत्पन्न हो गा। इसने अवसर देखकर सन् १७६१ ई. में आक्रमण कर दिया और जनवरी सन् १७६२ में पेशवा से लाभप्रद सधि की। उसी समय यह दक्षिण का अध्यक्ष नियुक्त हुआ और मुगल सम्राट् ने इसे निजामुल्मुल्क आसफजाह द्वितीय की उपाधि से विभूषित किया। रघुनाथ राव के दमन का प्रयत्न इसने यथाशक्ति किया और इसके लिए उसे उसके भतीजे माधोराव से संधि करनी पड़ी।
युद्धों और उपद्रवों से छुटकारा पाकर यह अपने राज्य के उत्थान के कार्य करने लगा और ४१ वर्ष शासन करने के पश्चात् सन् १८०२ ई. में इसकी मृत्यु हो गई।