निकल क्रोमियम इस्पात व्यापक नाम है। गुणों में एक दूसरे से सर्वथा भिन्न अनेक उत्पादों का इसमें समावेश है। अत: इस्पात की यथार्थ परिभाषा देना प्राय: असंभव है। व्यावहारिक दृष्टि से लोह कार्बन मिश्रधातु को, जिसमें प्राय: कार्बन का अंश दो प्रतिशत से अधिक नहीं होता, इस्पात मानते हैं, चाहे इसमें अन्य तत्व हों या नहीं। इसके अतिरिक्त कार्बन इस्पात में सिलिकन, गंधक, फॉस्फोरस, और मैंगनीज भी विभिन्न मात्रा में रहते है, जो इस्पात निर्माण में प्रयुक्त कच्चे काम और ईधंन से आ जाते हैं। कुछ तत्वों को जन बूझकर भ्राष्ट भरण (charges) में मिलाते हैं, ताकि अधिकतम उपयोग के लिए अनेक गुणों से परिपूर्ण विभिन्न प्रकार के इस्पात प्राप्त हो सकें।
इस्पात के अत्यधिक उपयुक्त मिश्रक तत्वों में मैंगनीज के बाद निकल का स्थान है। यह पिघले लोहे में हर अनुपात में भली भाँति मिश्रित हो जाता है और ठंढा होने पर ठोस विलयन का रूप धारण कर लेता है। पाँच प्रतिशत तक की मात्रा में मिलने पर यह इस्पात की तन्यता (ductility) को कुप्रभावित किए बिना उसके तनाव सामर्थ्य (tensile strength) और दृढ़ता (toughness) को बढ़ाता है। कुछ इस्पातों में तन्यता सुधर जाती है। निकल कठोरकरणीयता को बढ़ाता है और भंजन तथा विरूपण (cracking and disfortion) की प्रवृत्ति कम करता है, जिससे बड़े खंडों को सफलतापूर्वक कठोर किया जा सकता है। आठ प्रतिशत या इससे अधिक मात्रा में यह अनेक संक्षारणरोधी (corrosion resistant) और ऑस्टेनाइटी (austenitic) अविकारी इस्पात का घटक है, जिनमें १८:८ क्रोमियम निकल इस्पात और उसके संजात (derivatives) भी संमिलित हैं। गैस टरबाइन डिस्कों और ब्लेडों में, उच्च प्रतिबल और उच्च ताप की स्थितयों में, उपयोग के लिए जो अभिनव इस्पात बन रहे हैं, उनमें २० प्रतिशत या इससे भी अधिक निकल रहता है।
अकेला या मिश्रक तत्वों के साथ क्रोमियम इस्पात के घिसाईप्रतिरोध और कठोरकरणीयता की वृद्धि करता है। यह १२ से १४ प्रतिशत तक के अनुपात में अविकारी कटलरी इस्पात का अवश्यक अवयव है और इसी अनुपात, या इससे अधिक अनुपात (२० प्रतिशत तक), में निकल और कभी कभी अन्य तत्वों के साथ तापसह तथा जंग और अम्ल प्रतिरोधक विविध आस्टेनाइटी इस्पात प्रदान करता है। घिसाई प्रतिरोध उन्नत करने के लिए दो प्रतिशत कार्बन के साथ १२ प्रतिशत तक क्रोमियम मिलाकर कुछ विशिष्ट कोटि के इस्पात बनाए जाते हैं, जो औजारों और ठप्पों के निर्माण में प्रयुक्त होते हैं। तल कठोरीकरण और नाइट्राइडीकरण इस्पात में भी इसका प्रयोग होता है, किंतु इसमें क्रोमियम प्राय: २ प्रतिशत से कम ही रहता है। सीधे कठोर होनेवाले बॉल वेयरिंग (ball bearing) की गोलियों और दलित्र गोलियों (crusher ball) के निर्माण के इस्पातों में क्रोमियम का अंश पर्याप्त होता है।
मिश्रक तत्वों को प्राय: पूरक संयोजन में मिलाकर बेजोड़ गुणों के इस्पात तैयार किए जाते हैं, जिनका नियत्रण इच्छानुसार किया जा सकता है। कार्बाइड संरचना को सुधारने और फेराइट और क्रोमियम को सुदृढ़ और परिष्कृत करने में निकल का व्यवहार हो सकता है।
इस्पात का प्रयोग करने में अनेक बातों का, जैसे कठोरीकरण की गहराई, ऑक्सीकरण प्रतिरोध, गढ़ाई गुण, उच्च और निम्न ताप पर व्यवहार, तनाव और संघट्ट सामर्थ्य आदि का ध्यान रखना पड़ता है। इस्पात के गुणों के विकास तथा संघटन द्वारा निर्धारित या प्रतिबंधित सीमा में यांत्रिक गुणों का नियंत्रण करने लिए उष्मा उपचार आवश्यक है। उसी कार्बन अंश के कार्बन इस्पात की अपेक्षा मिश्रधातु इस्पात बहुत अधिक मजबूत और कुछ ही कम तन्य होते हैं और लगभग उसी तनाव क्षमता के कार्बन इस्पात की अपेक्षा अधिक तन्य और उच्चतर प्रत्यास्थ अनुपाती होते हैं।
निकल, क्रोमियम और अन्य एक, या अधिक, मिश्रक तत्वयुक्त इस्पात कई प्रकार के होते हैं, जिनका रासायनिक संघटन की दृष्टि से वर्गीकरण इस प्रकार है :
निकल % क्रोमियम %
1.00- 1.50 0.45- 0.75
1.00- 1.50 0.60- 0.92
1.50- 2.00 0.90- 1.25
2.75- 3.25 0.60- 0.95
3.25- 3.75 1.25- 1.75
निकल % क्रोमियम % मालिब्डिनम %
1.65- 2.00 0.30- 0.60 0.20- 0.30
1.50- 2.00 0.50- 0.80 0.30- 0.40
1.50- 2.00 0.60- 0.90 0.20- 0.30
संसाधन (processing) और ऊष्मा-उपचार-विधियों पर आधारित इन इस्पातों को प्राय: निम्नलिखित वर्गों में विभाजित किया जाता है :
जल और तैल कठोरीकृत इस्पातों में कार्बन ०.२० से ०.५० प्रतिशत तक होता है।
ऊपर के वर्गीकरण में १, २ और ५ वर्गों के इस्पात कार्बुरीकर इस्पात हैं। प्रयुक्ति के पूर्व प्रत्येक कार्बुरीकर इस्पात को किसी न किसी प्रकार का ऊष्मा उपचार दिया ही जाता है। कम लागत के लिए और विरूपण रोकने के लिए इस्पात की कण-वृद्धि-प्रवृत्ति के अनुसार यथासंभव सरल उपचार होते हैं। सूक्ष्म कणवालों का उपचार सरलतम हो सकता है। १.२५% निकल ०.६% क्रोमियम वाले इस्पात की लागत कम होती है। इसका मशीनीकरण सरल है तथा कार्बुरीकरण के बाद उपयुक्त दोहरा उपचार करने पर कठोर, घिसाई प्रतिरोधी पृष्ठ और दृढ़ क्रोड़ प्रदान कता है। ट्रैक्टर, ट्रैकगियर, तैलकूप बरमा, रीमर कर्तक, मशीनों के औजारों के गियर औश्र अनेक छोटे पुर्जों में जिनमें कार्बनइस्पात संतोषप्रद काम नहीं देता, यह इस्पात काम में लाया जाता है। क्रोड सामर्थ्य अधिक अपेक्षित होने पर १.७५% निकल १.०% क्रोमियमन इस्पात का प्रयोग किया जाता है। हेबी ड्यूटी सर्विस के लिए अपेक्षित बड़े खंडों में श्रांति (fatigue) और घिसाई का प्रतिरोध अधिकतम करने के लिए ३.५% निकल १.५% क्रोमियम तथा ४.५% निकल १.५% क्रोमियम इस्पात काम आते हैं। इनकी गढ़ाई और ऊष्मा उपचार में असाधारण सावधानी अपेक्षित होती हैं।
वर्ग ५ से इस्पात का निर्माण, जिसकी लागत १.२५% निकल ०.६% क्रोमियम इस्पात से कुछ अधिक है, मूलत: रिंग गियर्स पिनियन्स के लिए किया गया था। इसमें निकल की दृढ़ता, क्रोमियम का कठोरीकरण और वैनेडियम के कणसुधार गुणों का प्रभाव संमिलित है।
१.२५% निकल ०.६% क्रोमियम इस्पात, जिसमें कार्बन का अंश ०.२०% से ०.६०% तक होता है, तैल या जल में शमित किया जा सकता है, किंतु जिन इस्पातों में ०.४०% से अधिक कार्बन होता है उनका और जटिल आकार के सभी सामानों का तैल में शमन ही उत्तम होता है। लगभग ०.३०% कार्बन वाले इस्पात धुरी, चालनदंड, प्रतिबलित दुपेचा, बोल्ट, नट, स्टियरिंग के कोने और बाहों, ड्रिल कॉलर, क्राउन ब्लॉक और दो इंच तक की मोटाई के अन्य खंडों में काम आते हैं। ०.३०% और ०.३०% कार्बन अंशक ४८२.२� सेंटीग्रेड़ तक अच्छे सरकन (creep) प्रतिरोधी होते हैं, अत: बाल्व कोरों (flanges) और अन्य उच्च ताप पुरजों (फिटिंग्स) में काम आते हैं। तापानुशीतित अवस्था में निम्नकार्बन अंशक इस्पातों को शीत संपीडित करके मोटर गाड़ी के ढाँचे जैसे आकार दिए जा सकते हैं। ०.४०% कार्बन अंशक को अंतर्ग्रांही वाल्बों, हेबी ड्यूटी मशीन के औजार गियरों, मशीन बेल्चा के पुर्जों, तैल कूप औजार जोड़ों आदि में काम लाते हैं। ४०० ब्रिनेल कठोरतांक (B.H.N.) तक संस्कारित (tempered), ०.४०% कार्बन अंशक इस्पात सड़क निर्माण और उत्खनन यंत्रों के पुर्जों में घिसाई प्रतिरोध गुण के कारण काम आते हैं।
गंभीर कठोरीकरण गुण अपेक्षित होने पर, उदाहरणार्थ २।। या ३ इंच के बड़े खंडोंवाले पुर्जों में ०.४०% और ०.५०% कार्बन अंशकों में प्राय: २% निकल १% क्रोमियम इस्पात काम आता है।
०.३५% कार्बन वाले ३% निकल ०.७५% क्रोमियम इस्पात में, तेल शमन और ४८२.२� सें. से ६३८.८� सें. तक प्रतिकर्षण के उपरांत, उच्च श्रांति प्रतिरोधी गुण उत्पन्न हो जाते हैं और ये उन पुर्जो में अत्यंत लाभप्रद हैं जो कभी कभी अतिप्रतिबलित हो जा सकते हैं। ०.४५% और ०.५०% कार्बन अंशक, हेवी ड्यूटी मशीन गियरों में और जहाँ भी उच्च सामर्थ्य, सुतन्यता और श्रांति प्रतिरोध अपेक्षित होता है, काम आता है।
०.३% और ०.४% कार्बन वाले ३.५% निकल १.५% क्रोमियम इस्पात तीन चार इंच के खंडों की ढलाई में, यांत्रिक गुण संबंधी दृढ़ अपेक्षाओं के लिए, काम आते हैं।
वर्ग ३. में वर्णित निकल-क्रोमियम-मालिब्डिनम इस्पात में कार्बन की प्रतिशतता ०.२० और ०.५० के बीच रहती है। ये इस्पात वायु कठोरीकृत होते हैं। इनका उपयोग मुख्यत: इनके गहरे कठोरीकरण गुणों के कारण है, जिसके कारण ये बड़े खंडों में उन गुणों को विकसित कर सकते हैं जो अन्य इस्पात छोटे खंडों में उन गुणों को विकसित कर सकते हैं जो अन्य इस्पात छोटे खंडों में विकसित करते हैं। निम्न कार्बन अंशक इस्पात रेलइंजन के पार्श्व छड़ों, युग्मक छड़ों, योजक छड़ों, पट्टों, दाबक्रैकों, खदार और कर्षणगियरों, बाल्टी झाम की पिनों (dredge bucket pins) और भाप हथौड़ों के पिस्टन दंडों में उपयोगी हैं। मध्यम कार्बन अंशक इस्पात हेवी ड्यूटी क्रैकों, चालन पिनियन और प्रेरक धुरों, गियरों और भारी गढ़ाइयों में काम आता है। उच्च कार्बन अंशक इस्पात घूर्णक ईषाओं, गढ़ाई-ठप्पों, उष्ण कर्तन धुरियों और विमान के पुर्जों में काम आता है। निकल-क्रोमियमवैनेडियम और निकल-क्रोमियम-टंग्स्टन इस्पात वायुयाननिर्माण में काम आते हैं।
एक समान उच्च सामर्थ्य और तन्यता के लिए तैल शमित और गढ़ित (forged), निकल-क्रोमियम-वैनेडियम-मालिब्डिनम इस्पात पाँच से दस इंच तक के व्यस में प्रयुक्त होते हैं।(हृषिको त्रिवेदी)