निऑन संकेत नी (Ne), परमाणुभार २०.१८, परमाणुसंख्या १०, इसके स्थायी समस्थानिक की द्रव्यमान संख्या २०, २१ और २२ है। रेडियमधर्मी समस्थानिक की द्रव्यमान संख्या १९ और २३ है। यह आवर्त सारणी के शून्य समूह के हीलियम समूह का दूसरा सदस्य है। इस समूह के अन्य सदस्य आर्गन, क्रिप्टन, ज़ेनॉन और रेडन हैं। यह वायुमंडल में गैस के रूप में बड़ी अल्प मात्रा (०.००१८ प्रतिशत) में रहता है। भूगर्भ स्थित गैसों में भ यह पाया जाता है। इसका औद्योगिक उत्पादन द्रववायु के प्रभाजक आसवन से होता है। क्लॉड वायुद्रावी में, जिसमें प्रति घंटा ५० घन मीटर द्रव वायु तैयार होती है, प्रति दिन १०० लिटर निआफन प्राप्त हो सकता है। रैमज़े और टैवर्स ने १८९८ ई. में इस गैस का आविष्कार किया था और वायु से इसे प्राप्त किया था।

निऑन का घनत्व ०रू सें. और एक वायुमंडल दबाव पर १.२०४ ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर है। यह - २४६.०९सें. पर उबलता है और - २४८.६१सें. पर जमता है। इसका क्रांति ताप - २२८.७५रू सें. और क्रांतिक दबाव २६.८६ वायुमंडल है। इसकी द्रवण उष्मा ३.९७ कैलोरी प्रति ग्राम और २५रू सें. पर विलेयता ०.०१०१ घन सेंटीमीटर है। इसके अणु में एक ही परमाणु रहता है।

यह किस अन्य तत्व के साथ कोई स्थायी यौगिक नहीं बनाता है। ऐसा समझा जाता है कि दुर्बल अंतरपरमाण्वीय क्रिया के, जिसको वान डेर वाल की शक्ति कहते हैं, कारण ही यह अन्य तत्वों को आकर्षित करता है। इसका वर्णपट विशेष प्रकार का होता है, जिसमें कई सुंदर रक्तवर्ण रेखाएँ होती हैं। असाधारण ऊँची विद्युच्चालकता तथा प्रकाश उत्सर्जित करने की क्षमता के कारण निऑन का उपयोग अनेक विद्युत लैपों तथा यंत्रों में होता है। चिनगारी-प्लग-परीक्षी (Sparking Plug Tester) में भी यह काम आता है। निऑन नलियों में, बहुत न्येन दबाव पर विद्युद्विसर्जन से, बहुत सुंदर लाल नारंगी रंग का प्रकाश निकलता है। अधिकांश गैसीय चालन तथा प्रतिदीप्त दीपों में विद्युच्चालन के लिए निऑन का प्रयोग होता है। अन्य गैसों को अवशोषण द्वारा निकालकर ही निऑन की मात्रा निर्धारित की जाती है।(फूलदेवसहाय वर्मा)