नॉर्थ वेस्ट फ्रंटियर प्रॉविंस (North West Frontier Province) स्थिति : 33� 45� उ.अ. तथा 71� 0� पू.दे.। इस राज्य की स्थापना १९०१ ई. में हुई जो १९४७ ई में पश्चिमी पाकिस्तान का अंग बन गया। इसके पूर्व में कश्मीर, पूर्वी पंजाब, दक्षिण में बलूचिस्तान, उत्तर तथा पश्चिम में अफगानिस्तान है। इसका क्षेत्रफल ३९,१८६ वर्ग मील है। राज्य का अधिकांश भूभाग पहाड़ी है। संपूर्ण राज्य तीन प्राकृतिक भागों में विभक्त किया जा सकता है। (१) सिस इंडस (CisIndus) का हज़ारा जनपद, (२) पेशावर घाटी के अंतर्गत बानू प्रदेश तथा (३) सिंधु नदी तथा सुलाइमान पर्वत मालाएँ हैं। इसमें खैबर, गोमल तथा कुराम नामक तीन इतिहास प्रसिद्ध दरें हैं। इनमें से खैबर दर्रा विश्व के प्रधान दर्रो में एक है, जिसमें से होकर सिकंदर महान् तथा अन्य आक्रामक शक्तियाँ भारत में आई थीं।
राज्य के अधिकांश निवासी पठान हैं जिनमें से ९३ प्रतिशत इस्लाम मतावलंबी हैं। पश्तो (Pushtu) यहाँ की प्रधान भाषा है। संपूर्ण भूभाग कृषिप्रधान है। गेहूँ, जौ, तंबाकू, गन्ना, तथा तिलहन का प्रधान उत्पादन होता है। यहाँ उष्णता के कारण खेतों में विशेष सिंचाई की आवश्यकता पड़ती है। जहाँ तक भेड़पालन, मुर्गीपालन तथा फलोत्पादन का संबंध है, यह राज्य पाकिस्तान के अधिकांश भागों से अच्छा है यह राज्य 'पूर्वीय कैलिफॉर्नया' के नाम से भी पुकारा जाता है। नवीन भूगर्भीय सर्वेक्षण इस तथ्य को प्रमाणित करते हैं कि यह राज्य कोयला, सीस, नमक तथा पैट्रोल के लिए समृद्धिशाली है। इस विद्युतयुंग में वर्तमान सरकार मालाकंद तथा बारसक स्थानों पर जलविद्युत्केंद्रों की स्थापना कर रही है। इन केंद्रों की सहायता से नवीन उद्योग धंधे, चीनी, सिगरेट, ऊनी वस्त्रव्यवसाय तथा रासायनिक कारखानों की उन्नति होगी।
बहुत से आधुनिक विद्यालयों एवं प्राविधिक संस्थानों (Technical institution) की भी स्थापना की जा रही है। इन विद्यालयों में पेशावर का इस्माइलिया विद्यालय तथा किंग एडवर्ड विद्यालय अधिक प्रसिद्ध हैं। ईसा की प्रारंभिक पाँच शताब्दियों तक यह राज्य कला कौशल में बहुत उन्नत था। उस समय यहाँ के कलाकारों ने ग्रीक एवं भारतीय कला कौशल के माध्यम से एक नवीन कला पद्धति को जन्म दिया था। स्वात घाटी में भारतीय कला के बहुत सुंदर एवं आकर्षक उदाहरण अबतक प्राप्त होते रहते हैं।(बच्चनसिंह )