नार्थ, लार्डं (१७३२ से १७९२) फ्रेडरिक नार्थ इंग्लैड का एक प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ था। इसकी शिक्षा क्रम से ईटन (Eton) तथा ऑक्सफोर्ड के ट्रिनिटी कालेज में हुई थी। इसने सत्तारूढ़ टोरी दल की सदस्यता ग्रहण की और १७५४ ई. में इसी दल के टिकट पर बैन्वरी (Banbury) निर्वाचन क्षेत्र से पार्लिमेंट का सदस्य निर्वाचित हुआ। अपने पिता फ्रांसिस (Francis) की मृत्यु (१७९०) पर नार्थ गिलफोर्ड (Guilford) का द्वितीय अर्ल नियुक्त हुआ। लॉर्ड नॉर्थ १७६७ ई. में चांसलर ऑव एक्सचेकर बनाया गया और फिर तीन वर्ष उपरांत यह जार्ज तृतीय का प्रधान मंत्री बना। यह इस सिद्धांत का पोषक था कि बखेड़ों से दूर रहकर ही कोई राजनीतिज्ञ अपना कार्यकाल शांतिपूर्वक व्यतीत कर सकता है। सन् १७७० में उसन टाउनशेंड अधिनियमों (Townshend Acts) का आंशिक निरसन किया। सन् १७७४ में बोस्टन बंदरगाह विधेयक (Boston Port एत्थ्थ्) पारित कराया।

जार्ज तृतीय के निरंकुशतावादी सिद्धांत को प्रोत्साहन देने तथा पार्लिमेंट के प्रभाव को घटा देने में नार्थ का बहुत बड़ा हाथ था। लार्ड नार्थ के प्रधान मंत्रित्व में जार्ज तृतीय का वैयक्तिक शासन अपने शिखर पर पहुँच चुका था। लार्ड नार्थ के पतन का कारण मुख्य रूप से अमरीकी स्वातंत्र्य संग्राम था। जार्ज तृतीय के दमन चक्र को नार्थ ने और भी उग्र कर दिया था तथा १७८२ ई. में जब यार्कटाउन पर कार्नवालिस की पराजय हुई तो नार्थ को विवश होकर मंत्रित्व पद से त्यागपत्र देना पड़ा। यद्यपि फाक्स ने मिश्रित मंत्रिमंडल में आने की शर्तें काफी कष्टप्रद लगाई थीं फिर भी नाथै ने अपने फाक्स ऐसे शत्रु के साथ भी उत्तरदायित्व वहन करने की अनुमति दे दी। नार्थ का अंतिम जीवन अपने राजनीतिक विरोधियों तथा प्रतिस्पर्धियों के कुठाराघात सहन करने में ही बीता।

(गिरिजाांकर मिश्र)