नारद पुराणप्रसिद्ध एक ऋषि जो ब्रह्मा के पुत्र कहे जाते हैं। विष्णु के परम भक्त तथा भक्तिमार्ग के प्रवर्तक के रूप में ये विख्यात हैं। इनके हाथ में सतत एक वीणा रहती है जिसे 'महती' संज्ञा दी गई है। ये विष्णु के वरदान से अव्याहतगति माने जाते हैं। नारद-भक्ति-सूत्र नाम से एक भक्तिपरक शांडिल्य विद्या का ग्रंथ उपलब्ध है। परवर्ती उपनिषदों में भी नारद का वर्णन मिलता है। नारद स्मृति नामक धर्मशास्त्र का ग्रंथ भी प्राप्त होता है पर यह ग्रंथ बहुत बाद का मालूम होता है।(रामचंद्र पांडेय)