नानकिंग (Nanking) स्थिति : 32� 3� उ.अ. तथा 118� 48� पू.दे.। चीन के जिआङसू (Kiangsu) प्रांत का यह मुख्य नगर है जो यैङत्सी नदी के दाहिने किनारे पर शघांई से १७० मील पश्चिम-उत्तर-पश्चिम रेलमार्ग पर स्थित है। इस नगर को प्राचीन ऐतिहासिक एवं साहित्यिक केंद्र रहने एवं कई राजवंशों की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। इसी कारण बहुत काल तक यह चीन का प्रसिद्ध राजनीतिक केंद्र भी रहा है। चीन के गणतंत्र होने पर प्रथम राजधानी होने का सौभाग्य भी इसे ही प्राप्त हुआ था। इसके पहले सन् १९२७-२८ में यह जिआङसू प्रदेश की राजधानी थी। सन् १९२८ में यह जिआङसू प्रदेश की राजधानी थी। सन् १९२८ के बाद इस नगर का बड़ी तेजी से विकास हुआ तथा कई नए भवनों, जैसे आधुनिक रेलवे स्टेशन तथा कई सचिवालय आदि का निर्माण हुआ। आधुनिक हवाई अड्डों, जलयान की सुविधाओं ने नानकिंग की महत्ता गमनागमन के केंद्र के रूप में बढ़ा दी तथा यहाँ नए उद्योगों की स्थापना हुई, लेकिन युद्धकाल में जापान के द्वारा ये नष्ट कर दिए गए।
यह नगर २० मील की परिधि में, ऊँची दीवाल द्वारा घिरा हुआ है। इसका क्षेत्रफल १८० वर्ग मील तथा जनसंख्या १४,१९,००० (१९६०) थी।
नगर एवं उसका समीपवर्ती अंचल हरी भरी पहाड़ियों, टेढ़ीमेढ़ी नदियों तथा मनोहर झीलों के लिए विख्यात है। नगर के बाहर चीनी गणतंत्र के संस्थापक 'सन यात सेन' की याद में प्रसिद्ध स्मारक (Mausoleum) बनाया गया है।
यहाँ रेशमी, सूती और साटन (Satin) वस्त्र, कागज के फूल और पंखे तथा भारतीय स्याही का निर्माण होता है। नगर के ही नाम पर प्रसिद्ध नानकीन नाम का कपड़ा यहीं बनाया गया था।
इस नगर में महिला महाविद्यालय, व्यापार एवं कानून महाविद्यालय, कई वैज्ञानिक एवं शोध संस्थाएँ तथा दो विश्वविद्यालय - राष्ट्रीय विश्वविद्यालय और नानकिंग विश्वविद्यालय हैं।
सन् १९३७ में जापान ने इस नगर पर अधिकार कर लिया था, लेकिन आठ वर्ष बाद यह पुन चीन के अधिकार में चला आया।
(राजेंद्रप्रसाद सिंह)