नातिए, जाँ मार्क फ्रेंच चित्रकार। पिता मार्क नातिए स्वयं अच्छा छविचित्रकार था, माँ भी लघु चित्रण (मिनियेचर पेंटिंग) में दखल रखती थी। दोनों के सहजात संस्कारों के फलस्वरूप १५ वर्ष की छोटी उम्र में ही पेरिस एकेडमी से उसने प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया। पर रोम की फ्रेंच एकेडेमी में पढ़ने से उसने इन्कार कर दिया। तत्पश्चात् वह एम्स्टर्डम चला गया जहाँ पीटर महान् ठहरा हुआ था। वहाँ उसने रूस के तत्कालीन ज़ार की सम्राझी कैथरीन के एक पोट्रेंट चित्र का निर्माण किया, किंतु जब उससे रूस जाने को कहा गया तो उसने स्वीकृति न दी। १७१५ से १७२० के दौरान उसने मोटर महान् के लिए 'पुल्टावा के युद्ध' का चित्रण किया। जीवन के अंतिम दौर में उसे अधिक संघर्ष भी सहने पड़े और बाद में उसने पोर्ट्रट कला को अपनाया। उसे विवश होकर धनिकों का आश्रय लेना पड़ा जिसके फलस्वरूप उसे कितनी ही चीजें बनानी पड़ीं जो उसकी इच्छा के विपरीत थीं।(शचीरानी गूर्टू)