नाइजिरिया स्थिति : 4� 30� से 14� 17� उ.अ. तथा 2� 30� से 14� 30� पू.दे.। यह पश्चिमी अफ्रीका में गिनी की खाड़ी पर स्थित है। नाइजिरिया गणतंत्र का क्षेत्रफल ३,५६,६६९ वर्ग मील है। यहाँ जनसंख्या का घनत्व ८९० व्यक्ति प्रति वर्ग मील है। यहाँ की राजभाषा अंग्रेजी है और विभिन्न स्थानीय भाषाएँ भी बोली जाती हैं। यहाँ का सिक्का नाइजिरियाई पाउंड है। उत्तर तथा उत्तर-पश्चिम में नाइजर गणतंत्र उत्तर-पूर्व में चैड झील, पूर्व में कामरून, दक्षिण में ऐटलैंटिक महासागर (गिनी की खाड़ी) तथा पश्चिम में डाहोमि से घिरा हुआ है।
चित्र.
इसके पाँच प्राकृतिक विभाग हैं : (१) दक्षिणी तट पर नाइजर नदी की दलदली और बलुई भूमि, (२) बीच की नाइजर बेन्वे घाटी, (३) उत्तर में उदी (१०००� ) और जॉस (४०००� ) के पठार (४) उत्तर-पूर्व में चैड झील क्षेत्र और (५) पूर्व में कामरून पर्वत का ज्वालामुखी क्षेत्र है। पठारी भाग में पुरान खादर चट्टानें उधरी हुई हैं, पर पहले दो भाग क्रिटेशस और तृतीयक युगों की चट्टानों से ढँके हैं। नाइजर यहाँ की प्रमुख नदी है। बेन्वे, सोकोटो, काडुना, केबी, हाडीजिया, गोंगीला प्रमुख नदियाँ हैं।
यहाँ की जलवायु उष्ण कटिबंधीय है। दक्षिण में वर्षा १५०� � (कोरसन में ४००� � ) और तापांतर अत्यल्प है पर उत्तर की ओर क्रमश: वर्षा की कमी ३०� � , शुष्क काल नौ महीने तक और तापांतर अधिक होता जाता है।
तट पर सुंदरी के वन, उसके पीछे क्रमश: विषुवतरेखीय वन, मानसूनी पतझड़ वन, सावैना घास और अंत में कंटीली झाड़ियाँ हैं। जीव जंतुओं में गोरिल्ला, लंगूर, बनमानुस, हाथी, चीता, मृग और प्रख्यात काल-मक्षीत्सेत्से (tsetse fly) मिलती है।
निवासी - यहाँ की कुछ मुख्य जातियाँ ये हैं : उत्तर में हाउसा (Hausa, ५५ लाख), दक्षिण में फूलानी पूर्व में इबो (Ibo) और इबिबिओ (Ibibio), उत्तर-पूर्व में कनूरी (Kanuri) और पश्चिम में योरूबा (Yoruba, ५० लाख)। इनमें रूप, भाषा, परिधान, और निवास आदि की पारस्परिक भिन्नता है। एक ओर लंबे, जैतूनी चमड़े और लहरदार बालवाले फूलानी हैं तो दूसरी ओर नाटे, काले और घुँघराले बालवाले ईबो। कुछ मर्द केवल चमड़े का लंगोट पहनते हैं, कुछ लबादा और कुछ पश्चिमी पोशाक। औरतें १० से १४ पट्टियों की सिली १३ गज की ओढ़नी रखती हैं, चोली आवश्यक नहीं, पर सर पर १ से १० गज तक की पट्टी बाँधती हैं। घरों की दीवारों पर नक्काशी और गाँवों के चतुर्दिक् दीवार का घेरा होता है। यहाँ के ४६ प्रतिशत निवासी मुसलमान, २३ प्रतिशत ईसाई और ३१ प्रतिशत आदिवासी धर्मावलंबी हैं।
यहाँ का मुख्य धंधा कृषि है। कोको, मूँगफली, केला, कपास, तंबाकू, मकई, चाय, कसावा, ईख और धान की खेती की जाती है। सावैना क्षेत्र में पशुपालन भी होता है। ताड़ के बीज से तेल निकाला जाता है। एगुन के निकट कोयाना और जॉस पठार पर टिन तथा कोलंबाइट निकलता है। यहाँ खनिज तेज और यूरेनियम प्राप्त होने की भी संभावना है। विश्व के लिए आवश्यक ९० प्रतिशत कोलंबाइट यहीं निकाला जाता है।
यहाँ परिरक्षित फल, तेल, सूती कपड़े, साबुन और मारगरीन (margarine) के उद्योग हैं। ताड़ का तेल, कोको, मूँगफली, केला, रबर, चमड़ा और टिन का निर्यात तथा सूती कपड़े, लोहा इस्पात, तंबाकू, मशीन, मोटर, सायकिल, पेट्रोल और पेट्रोल के सामानों का आयात होता है।
यातायात के लिए उत्तर में तो खच्चर, ऊँट, घोड़े और बैल मिल जाते हैं पर दक्षिण में कालमक्षी के कारण नदी ही काम में आती है। अच्छी सड़कों का अभाव है। दो मुख्य रेलमार्ग हैं - लागोस (Lagos) से मइदागुरी और पोर्टहारकोर्ट से कउरानामोदार। कानो और लागोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं। इवादान सबसे बड़ा नगर है। लागोस यहाँ की राजधानी है।
इतिहास एवं सरकार - योरूबा लोगों का साम्राज्य डाहोमि और घाना तक फैला था। उन्हें हाउसाओं ने हटाया जो स्वयं फूलानियों से हारे। १३वीं शती में इस्लाम धर्म आया और १४वीं शती में तट पर पहली बार पुर्तगाली आए। लागोस द्वीप को अँग्रेजों ने १८६१ ई. में अधिकृत किया। १८६३ ई. में इसकी पृथक् सरकार बनी। १८६६ ई. में इसे सिसरालिओ ने उपनिवेश के गवर्नर के अधीन कर दिया। १८४४ ई. में गोल्डकोस्ट उपनिवेश के शासन में आया और १८६६ ई. में पृथक् उपनिवेश बनाया गया। तट के भीतरी प्रदेश को मिलाकर १९०० ई. में उत्तरी और दक्षिणी नाइजर प्रोटेक्टरेट की स्थापना हुई और १९०४ ई. में इसे लागोस के साथ मिलाया गया। १९१४ ई. में उत्तरी और दक्षिणी सरकारों का औपचारिक एकीकरण हुआ। पहली अक्टूबर १९६० ई. में राष्ट्रमंडल के सदस्य के रूप में यह स्वतंत्र हो गया और १९६१ ई. में उत्तरी कामरून (ब्रिटेन के अधीन स.रा.सं. की ट्रस्ट टेरीटरी) में यह स्वेच्छा से सम्मिलित हो गया।
नाइजिरीया उत्तरी, पश्चिमी, और पूर्वी क्षेत्रों का एक संघ है जिसमें स्थानीय विधानमंडल और केंद्र में संसद है। शासन प्रधान मंत्री और मंत्रिपरिषद् के हाथ में है।
(राजेंद्रप्रसाद सिंह)