नाइजर (Niger) १. अफ्रीका की तीसरी सबसे बड़ी पर भौमिकी दृष्टिकोण से सर्वाधिक दिलचस्प नदी है। यह फ्रेंच गिआना में समुद्र से केवल १७५ मील दूर पहाड़ी क्षेत्र से निकलकर समुद्र से विमुख होकर दक्षिणी सहारा मरुस्थल में २,६०० मील बहने के पश्चात् दक्षिण की ओर मुड़कर गिआना की खाड़ी में गिरती है। इसकी पुरानी धारा के चिह्न मरुस्थल में बहुत दूर उत्तर तक मिलते हैं। नदी का निचला भाग, जिसका नाम क्वोरा (Quorra) था, मध्य सहारा में स्थित आहेगर (Ahaggar) पर्वत से निकलकर दक्षिण की ओर बहती थी। फ्रांसीसी वैज्ञानिकों के अनुसार बाद में मरुस्थल के विस्तार से ये दोनों धाराएँ वालुकाभित्ति की गहरी घाटी काटकर एक नदी बन गईं। नाइजर की सबसे महत्वपूर्ण सहायक नदी बेन्वे (Benve), इसके मुहाने से २५० मील ऊपर मिलती है। समुद्र में मिलने से पहले नाइजर कई धाराओं में बँटकर १,४०० वर्ग मील क्षेत्र में डेल्टा बनाती है। सबसे चौड़ी धारा नून है, पर जहाज सबसे गहरी धारा फोरकेडोस में चलते हैं। डेल्टा में, जो समुद्र के किनारे १२० मील लंबा है, धान, ईख तथा कपास की अच्छी उपज होती है। नाइजर में ५,८४,००० वर्ग मील क्षेत्र का जल आता है। यद्यपि इसकी धारा में अनगिनत चट्टानें तथा झरने पड़ते हैं, तथापि इसका मध्य भाग छोटी नौकाओं के परिवहन का काम देता है।

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इस नदी में मछलियाँ, मगर तथा दरियाई घोड़े अधिक मिलते हैं। निकटवर्ती जंगलों में शिकारी जानवर तथा मूल्यवान लकड़ियाँ मिलती हैं।

  1. राष्ट्र, स्थिति : 15� 30� उ.अ. तथा 10� 0� पू.दे.। यह पश्चिमी अफ्रीका में स्वतंत्र राष्ट्र है। इसका क्षेत्रफल ५८,८७५ वर्ग मील है। आबादी दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम में नाइजर नदी के किनारे केंद्रित है। यहाँ निग्रोप्रजाति के लोग अधिक हैं। इसका उत्तरी भाग अधिकांश रेगिस्तान है परंतु मध्य तथा दक्षिण भाग जंगलों से भरे हैं। पालतू जानवर प्रधान आर्थिक साधन हैं। पशुओं तथा उनके चमड़े का निर्यात होता है। यहाँ ज्वार, धान, जौ, गेहूँ एवं मक्का भी पैदा होते हैं। सोडियम फास्फेट, नमक, टीन तथा टंग्स्टन यहाँ के प्रमुख खनिज हैं। यहाँ का जलवायु शुष्क तथा गरम है। यह देश उद्योग तथा शिक्षा में पिछड़ा हुआ है। मदामा, एगेडेम, जिंडर, मराडी, अजीबा प्रमुख नगर हैं। न्यामे यहाँ की राजधानी है। इसके पूर्व में चैड झील है। न्यामे में प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा है। (ज.सिं.)

निवासी - यहाँ के निवासियों में श्वेतांगों की अपेक्षा अश्वेतों की संख्या अधिक (लगभग ७५ऽ ) है। अश्वेतों का पेशा कृषि और मछली पकड़ना आदि है। ये लोग नाइजर नदी के आसपास बसे हुए हैं। तूबू और फुलानी आदि श्वेत जातियाँ घुमक्कड़ हैं। नीग्रो जातियों में हाउस (Hausa) बहुसंख्यक हैं।

जातीय भेदों के कारण नाइजर में अनेक भाषाएँ प्रचलित हैं। फ्रांसीसी राजभाषा है। हाउसा का प्रयोग व्यापार क्षेत्र में होता है। अरबों और तुआरेगो (Tuaregs) की भाषाएँ भी खूब प्रचलित हैं। अधिकतर भाषाएँ चाड समूह (Chad group) की हैं।

इस्लाम धर्म के माननेवाले अधिक हैं। कुछ जड़जीववादी और ईसाई भी हैं।

इतिहास - यहाँ का प्राचीन इतिहास केवल युद्ध और अशांति का इतिहास है। उस समय यहाँ उत्तर और उत्तरपूर्व में सदैव अरबयहूदियों (Semitics) और मिस्त्रियों (Hamitics) के आक्रमण होते रहते थे। उत्तरी अफ्रीका के श्वेत लोगों ने १०वीं शताब्दी में चाड झील के निकट रहनेवालों से स्थायी संबंध स्थापित कर लिए थे, उसी समय बरबरों ने वर्तमान नाइजर क्षेत्र पर अपना अधिकार करके हाउसा (Hausa) राज्य की स्थापना की। मिस्त्री (हेमिटिक) लोग भी मिस्त्र और इथियोपिया से प्रभावशाली संख्या में आ गए थे। श्वेत अफ्रीकियों ने पहले इस प्रदेश का उपयोग नमक, दास और स्वर्ण के व्यापार के लिए ही किया, किंतु कालांतर में उन्होंने यहाँ अपने उपनिवेश स्थापित कर लिए। ११वीं और १२वीं शताब्दियों में अरबों ने उत्तरी अफ्रीका पर विजय प्राप्त की। पराजित बरबरों ने विजेताओं की सत्ता के साथ साथ अरबी भाषा और इस्लाम धर्म को भी स्वीकार कर लिया। अरबों ने अपना विस्तार दक्षिण की ओर किया, धर्मयुद्धों में जीतकर सूडान में कई राज्य स्थापित किए। उन राज्यों में माली (Mali), घाना (Ghana) और गाओ (Gao) पश्चिम में थे। हाउसालैड (Hausaland) और बोर्नू (Bornu) राज्य उस स्थान पर थे जहाँ आज नाइजर गणराज्य है। लगभग १५१५ में आस्किया मुहम्मद प्रथम (Askia Mohammad I) के नेतृत्व में गाओ की सेना ने हाउसा राज्यों का दमन किया।

१९वीं शताब्दी में इस प्रदेश का पता यूरोपियों ने लगाया। १८८२ में मेजर डिक्सन डिनहेम और लेफ्टीनेंट क्लैपर्टन नामक दो अंग्रेज नाइजर नदी के अंचलों की खोज करने पहुँचे। इसी शताब्दी के अंत में फ्रांसीसी सेनाएँ नाइजर नदी की ओर बढ़ीं और १९०० तक चाड झील के आसपास बहुत से क्षेत्र पर अपना अधिकार कर लिया। १९२२ में फ्रांसीसियों ने नाइजर को अपना उपनिवेश बना लिया। द्वितीय विश्वयुद्ध में नाइजर अछूता रहा। इसके पूर्व यहाँ सीमा निर्धारण आदि की समस्याएँ थीं। युद्ध के पश्चात् यहाँ राष्ट्रीय चेतना जागृत हुई, और अनेक राजनीतिक दल संगठित हुए। १९ दिसंबर १९५८ को फ्रांस समुदाय में ही यह स्वशासित राज्य मान्य हुआ। २५ फरवरी १९५९ को नाइजर गणराज्य का संविधान स्वीकृत होने के बाद कांस्टीट्यूएंट असेंबली का नाम लेजिस्लेटिव असेंबली कर दिया गया। ३ अगस्त १९६० को नाइजर गणराज्य स्वतंत्र हो गया। स्वतंत्रता के पश्चात् राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए सरकार ने त्रिवर्षीय योजना द्वारा व्यापक उन्नति का कार्यक्रम स्वीकार किया। देश के उत्तरी भागों में पशुपालन और दक्षिण में, जहाँ नीग्रो रहते हैं, कृषि मुख्य व्यवसाय है।

(जगदीश सिंह)