नल इस नाम के दो व्यक्ति हुए हैं, एक ते रामायण में उल्लिखित बंदर (दे. नील) जिसका साथी नील था और दूसरा राजा नल। राजा नल विदर्भ की राजकुमारी दमयंती को स्वयंवर में जीत लाते और जीवन में अनेक विपत्तियों का सामना करते हैं। अंत में वह अपना राजपाट प्राप्त कर फिर सुखी हो जाते हैं। इनके जीवन के संबंध में संस्कृति की प्रसिद्ध कविता 'नलोदय' है। महाभारत में भी नलोपाख्यान है।(रामाज्ञा द्विवेदी)