नकछेदी तिवारी ये 'अज्ञान' नाम से काव्यरचना करते थे। डुमराँव (शाहाबाद) निवासी तिवारी जी का जन्म हल्दी गाँव में सं. १९१९ वि. में हुआ था। ये गद्य पद्य दोनों ही लिखते थे। काव्य के क्षेत्र में इन्होंने स्फुट रचनाएँ ही की हैं। इनका संबंध प्रमुख रूप से भारतजीवन प्रेस (बनारस) और उसके स्वामी बाबू रामकृष्ण वर्मा 'बलवीर' से था। उक्त प्रेस से प्राचीन ढरें के जितने भी काव्यादि के ग्रंथ प्रकाशित हुए उन सब का संपादन, संशोधन अथवा संकलन करने में इनका पूरा हाथ होता था। इसलिए तिवारी जी का महत्व ब्रजभाषा ग्रंथरत्नों के संपादन, संकलन और शोध की दृष्टि से अनूठा है। ये अनन्य भाषाप्रेमी और खोजी विद्वान् थे। अपने समय के अनेक कवियों से इनको मैत्री थी। इनके ग्रंथों के नाम हैं-
(१) कविकीर्तिकलानिधि, (२) मनोजमंजरीसंग्रह, (३) भँड़ौआसंग्रह, (४) वीरोल्लास, (५) खंगावली, (६) होरीगुलाल, और (७) कविराज लछिराम कवि का जीवनचरित्र। इनके अतिरिक्त इन्होंने अनेक ग्रंथों का संपादन भी किया है जिनमें प्रमुख हैं 'ठाकुरशतक' और बोधा कवि का 'इश्कनामा'। इनका 'कविकीर्तिकलानिधि' संज्ञक ग्रंथ 'शिवसिंहसरोज' के आधार पर लिखा गया है जिसमें हिंदी कवियों का परिचय दिया गया है। 'काशी-कवि-समाज' के ये उत्साही कार्यकर्ता भी थे। कविता इनकी बड़ी ललित और मधुर होती थी। इसीलिए आचार्य रामाचंद्र शुक्ल ने लिखा था - 'वे बड़ी सुंदर कविता करते थे और पढ़ने का ढंग उनका बड़ा ही अनूठा था।'
सं. ग्रं. - आचार्य रामचंद्रशुक्ल : हिंदी साहित्य का इतिहास ; मिश्रबंधु : मिश्रबंधु विनोद, भा. ३