द्विज, जनार्दन प्रसाद झा का जन्म बिहार राज्य के भागलपुर जिलांर्तगत रामपुर डीह नामक ग्राम में १९०५ में हुआ था। आपके पिता पं. उचित लाला झा माध्यमिक स्कूल में अध्यापक थे। द्विज जी की प्रारंभिक शिक्षा अपने गाँव में हुई। गांधी जी के राष्ट्रीय आंदोलन से प्रभावित होकर आप शिक्षा के लिए काशी चले आए। महामना मालवीय जी की प्रेरणा तथा पं. रामनारायण मिश्र के संपर्क में आकर सेंट्रल हिंदू स्कूल से प्रथम श्रेणी में ऐडमिशन परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, और हिंदू विश्वविद्यालय में प्रविष्ट हुए फिर यही से आपने अंग्रेजी और हिंदी से प्रथम श्रेणी में मास्टर ऑव आर्ट्स की डिग्री हासिल की। प्रसाद जी तथा प्रेमचंद्र जी से आपकी घनिष्टता थी। कविता और कहानी कला में इन दोनों का प्रभाव आप पर पड़ा। आप कहानी लेखकों की अगली पंक्ति में थे।
द्विज जी का कार्यक्षेत्र बिहार राज्य रहा। काशी से शिक्षण समाप्त कर देवधर हिंदी विद्यापीठ में रजिस्ट्रार हुए। वहाँ से थोड़े ही दिनों में हिंदी विभागाध्यक्ष हो कर छपरा के राजेंद्र कालेज में चले गए। फिर औरंगाबाद, गया के सच्चिदानंद कालेज के प्रिंसिपल हुए। पूर्णिया में डिग्री कालेज खुलने पर वहाँ प्रिंसिपल का पद ग्रहण किया और अंत समय ५ मई १९६४ तक वहीं रहे। विद्यार्थी जीवन में ही आपने कहानी और पद्यरचना आरंभ कर दी थी। आप आदर्श छात्र थे। सदा सरल जीवन, प्रकृत्या शांत, गंभीर, प्रत्युत्पन्नमति, हँसमुख व्यक्ति थे। प्रतिभाशाली विचारक, निर्भय आलोचक, एवं स्पष्ट वक्ता थे। उन्होंनें हिंदीहित को अपने जीवन में सर्वोपरि रखा।
कृतियाँ -
स्केच - चरित्ररेखा; अनेक महत्वपूर्ण भाषण, निबंध भी जिनका अभी संकलन नहीं हुआ है।
(श्रीाचंद्र पांडेय)